मोरना। शुकतीर्थ के प्रसिद्ध हनुमतधाम आश्रम में जारी हनुमान जयंती महोत्सव कार्यक्रम में शुक्रवार को संत सम्मेलन में अनेक संतों ने श्रीराम भक्त हनुमान की महिमा का वर्णन किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने भाग लेकर पूजा-अर्चना की व संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया। विधानसभा अध्यक्ष ने हनुमानजी की मूर्ती पर सोने का छत्र चढ़ाया। इस दौरान तीर्थनगरी में सुरक्षा के लिये भारी पुलिस बल तैनात रहा, वहीं शुकदेव आश्रम में विधानसभा अध्यक्ष ने विशेष पूजा अर्चना में भाग लिया। हनुमतधाम में आयोजित ज्ञान गुण सागर कार्यक्रम का शुभारम्भ हनुमान जी के चित्र सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य अथिति सतीश महाना ने कहा कि संतो ने सनातन संस्कृति का संदेश अनंत समय से विश्व को दिया है। सनातन संस्कृति मनुष्य को जीवन पद्धति सिखाती है।
हमारे यहां किसी से द्वेष नहीं दिखाया जाता है, जिस प्रकार नदियां समुद्र में मिल जाती हैं। वैसे ही सनातन संस्कृतियों का मूल है। यह पीएम और सीएम कोई ऑवरनाईट नहीं है, यह तो संतों की वर्षों की तपस्या का फल मोदी व योगी का शासन है। विश्व कल्याण और वासुदेव कुटुंबकम का संदेश सनातन देता है। 14.० करोड़ की आबादी वाला देश सुख शांति से आगे बढ़ रहा है, तो यह अदृश्य शक्तियों के कारण है और एक दिन इसी संदेश से पूरा विश्व प्रेरणा लेगा। योग्यता पद का आधार नहीं होती है। योग्यता से पद व सम्मान मिलेगा यह तो भर्म है। अनेक व्यक्ति योग्य होते हैं। पद संतों की कृपा से मिलता है। वह संतो की कृपा से ही आज इस पद पर हैं। संतो का आदर सम्मान सर्वोपरि है। शुकतीर्थ की पावन भूमि पर संतो का सानिध्य प्राप्त होना बड़े सौभाग्य की बात है। महामंडलेश्वर स्वामी केशवानन्द सरस्वती महाराज ने कहा की हनुमान जी कृपा से जीवन धन्य होता है। हनुमान जी की भक्ति से मन प्रभुभक्ति में दृढ होता है तथा आत्मिक बल मिलता है। महामंडलेश्वर विश्वरेश्वरानंद महाराज ने कहा कि सम्पूर्ण ज्ञान प्रभु हनुमान में विद्यमान है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए हनुमान की स्तुति करें, तो ही शीघ्र ज्ञान प्राप्त होगा। सर्वेशपरपन्ना महाराज ने कहा कि हनुमान जी ज्ञान और गुण के सागर है। ब्रह्मस्वरूपानन्द महाराज ने कहा कि संतों कुछ देर का सानिध्य एक युग के समान होता है। गीतानंद गिरि ने कहा कि हनुमान जी ने इंद्रियों पर विजय प्राप्त किया और महावीर हो गये।
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शिवचन्द्रानन्द गिरि ने कहा कि ज्ञान के साथ युक्ति बहुत जरूरी है। अनंतानंद सरस्वती ने कहा कि हनुमान ने बाल्यकाल में ही सूर्य का भक्षण कर लिया था। अपार शक्तियों के स्वामी हनुमान जी महाराज की भक्ति शरीर में बल प्रदान करती है। कथा में आने के उपरांत अगर सो गये तो आपने बहुत कुछ खो दिया। धु्रवानंद महाराज ने कहा कि सहस्रों मुख होने पर भी हनुमान जी की महिमा का बखान नहीं किया जा सकता। अक्षरानंद महाराज ने कहा हनुमान भगवान श्रीराम के परम भक्त होने के साथ साथ परम सेवक भी हैं। जगदगुरू विजयदास महाराज सत्य का ज्ञान सत्य की साधना चाहते हो तो हनुमान जी की संस्तुति करो। ज्ञान की प्रकाष्ठा हनुमान है। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी आनंद चैतन्य सरस्वती महाराज ने की व संचालन आदित्य पुरी महाराज ने किया। इसके अलावा आर के टंडन, महामंडलेश्वर स्वामी गोपालदास महाराज, स्वामी विज्ञानंद महाराज, स्वामी प्रेमानंद पुरी महाराज, स्वामी शिव प्रेमानन्द महाराज, स्वामी रूपानंद महाराज, स्वामी देवेंद्रानन्द गिरी महाराज, स्वामी विद्या गिरी महाराज, स्वामी अमिता भारती महाराज, स्वामी चंद्रशेखरानन्द महाराज, स्वामी भास्करानन्द महाराज, स्वामी शारदा गिरी महाराज, स्वामी चंद्रशेखर गिरी महाराज, रविन्द्र पुरी महाराज, शंकर पुरी महाराज, सीताराम शास्त्री आदि ने भी अपने सम्बोधन में हनुमान जी भक्ति प्रकाश डाला।