मुजफ्फरनगर। जनपद न्यायालय मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार को सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ जनपद न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री संतोष राय द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।
अपने उद्घाटन संबोधन में न्यायाधीश संतोष राय ने लोक अदालत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मंच हार-जीत नहीं, बल्कि आपसी सुलह और न्याय का प्रतीक है। ऐसे फैसलों से वादकारियों के बीच सौहार्द बना रहता है और समय व धन की भी बचत होती है। उन्होंने बैंक अधिकारियों से अपील की कि ऋण मामलों में वादकारियों को अधिकतम राहत देकर प्रकरणों का समाधान करें।
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कुल निस्तारित मामले: 3,91,165,बैंक ऋण मामलों में सेटलमेंट: 319 प्रकरणों में ₹6,95,57,000 का निस्तारण,पारिवारिक न्यायालय द्वारा निस्तारित मामले: 129,मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण: 49 मामलों में ₹3,00,30,000 का प्रतिकर,शमनीय फौजदारी वाद: 6,389 मामलों में ₹11,87,890 का अर्थदंड,दीवानी वाद: 50 मामलों में ₹1,10,96,910.82 की वसूली,राजस्व विभाग द्वारा निस्तारण: 7,623 मामलों में ₹93,49,740 की राजस्व वसूली की गई है।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी अपर जिला जज कनिष्क कुमार सिंह ने कहा कि लोक अदालत विवादों को सुलह-समझौते के आधार पर निपटाने का एक सशक्त माध्यम है, जो खासतौर पर वंचित वर्गों के लिए एक वरदान है।
इस अवसर पर जिलाधिकारी उमेश मिश्रा, अपर जिलाधिकारी प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह, पुलिस अधीक्षक नगर सत्यनारायण प्रजापत, जिला बार संघ अध्यक्ष ठाकुर कंवरपाल सिंह, सिविल बार अध्यक्ष सुनील मित्तल, सचिव राज सिंह रावत सहित न्यायिक सेवा से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में बैंक प्रतिनिधि व वादकारी उपस्थित रहे।
इस ऐतिहासिक लोक अदालत ने एक बार फिर साबित किया कि न्याय सुलभ, सरल और समयबद्ध हो सकता है—बशर्ते प्रयास संगठित और समर्पित हों।