मथुरा। कहते हैं कि सच्चा प्यार किसी भी शारीरिक सीमा को नहीं देखता। ऐसा ही एक मिसाल पेश किया मथुरा की दिव्यांग शीतल और ठाकुर अजय सिंह ने। जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग शीतल को अजय सिंह ने न केवल अपनाया, बल्कि पूरी रीति-रिवाज से शादी कर उसे अपना जीवनसाथी बना लिया।
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शीतल, जो बचपन से ही अपने पैरों से चलने में असमर्थ थी, उसने कभी नहीं सोचा था कि कोई उसे अपनाएगा। लेकिन ठाकुर अजय सिंह, जो एक समाजसेवी और शिक्षक हैं, ने समाज की परवाह किए बिना उससे शादी करने का फैसला किया। अजय ने कहा, “सच्चे रिश्ते आत्मा से जुड़ते हैं, शरीर से नहीं। शीतल मेरा जीवनसाथी नहीं, बल्कि मेरी प्रेरणा है।”
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यह अनोखी शादी मथुरा के एक मंदिर में संपन्न हुई, जहां परिवार और करीबी मित्रों ने मिलकर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया। शादी में न कोई धूमधाम थी, न दिखावा, बस सच्चे प्रेम और समर्पण की झलक थी।
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शीतल और अजय की शादी ने समाज को यह संदेश दिया कि शादी सिर्फ शरीर से नहीं, बल्कि मन और आत्मा के मेल से होती है। यह विवाह न केवल एक प्रेरणा है बल्कि समाज की रूढ़ियों को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
यह कहानी प्रेम, सम्मान और समर्पण की एक नई मिसाल बन गई, जिसने समाज को यह सिखाया कि दिव्यांगता कमजोरी नहीं, बल्कि आत्मबल की पहचान होती है।