नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है, और इस बार मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच दिख रहा है। हालांकि, कांग्रेस भी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने को तैयार है। पिछली दो विधानसभा चुनावों में खाता न खोल पाने वाली कांग्रेस ने इस बार अपनी गलतियों से सबक लेते हुए नई रणनीति के तहत चुनावी तैयारी शुरू कर दी है।
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दिल्ली में कांग्रेस ने अपने वॉर रूम को सक्रिय कर दिया है। पार्टी ने उम्मीदवारों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं कि चुनाव किस तरह से लड़ना है। इसके साथ ही, राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी जा रही है। इनमें कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, राष्ट्रीय प्रवक्ता और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार कर दिया। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन विधानसभा चुनाव में अलग होने से कांग्रेस को रणनीति बदलनी पड़ी है।
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या में सुधार किया, लेकिन इसके बाद हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हार ने पार्टी का मनोबल गिरा दिया। अब दिल्ली चुनाव पार्टी के लिए सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई बन गया है। पार्टी ने दिल्ली में खुद को मुकाबले में बनाए रखने के लिए वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय किया है। सभी प्रमुख नेताओं और प्रवक्ताओं को प्रचार अभियान की जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस राजधानी के हर कोने में चुनाव प्रचार को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है।