Saturday, November 2, 2024

सिख गुरुओं ने अपने त्याग और बलिदान से समाज को दिया संदेश : मुख्यमंत्री योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व के अवसर पर नाका गुरुद्वारे पहुंचे। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह को नमन किया। सिख समाज ने अयोध्या के विकास और राम मंदिर निर्माण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया।

हम सब जानते हैं कि गुरु गोविंद सिंह साहब एक शहीद पिता के पुत्र हैं। गुरुतेग बहादुर सिंह ने उस काल खण्ड में धर्म, सत्य एवं न्याय की स्थापना की थी। उसे गुरुगोविंद सिंह ने आगे बढ़ाया। सिख गुरुओं के साहस एवं पराक्रम ने मुगल को परास्त किया। गुरु महाराज से आज मिल रही प्रेरणा हम सबको शक्ति प्रदान करता है। गुरुनानकदेव जी जयंती पर 2018 में मुख्यमंत्री आवास पर कीर्तन आयोजित किया गया। फिर शाहिबजादा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने शाहिबजादा दिवस मनाने का एलान किया। आज देश भर में साहिबजादा दिवस मनाया जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सात वर्ष एवं नौ वर्ष की उम्र क्या होती थी। शाहिबजादों पर हिन्दू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म अपनाने का जोर दिया गया। तलवार के जोर पर दबाव डाला गया। लेकिन वे नहीं झुके। यह है सिख धर्म। सिख धर्म के दसों गुरुओं ने अपने त्याग और बलिदान से समाज को संदेश दिया है। लखनऊ गुरुद्वार कमेटी को धन्यवाद देता हूं कि यह लोग अत्यंत सक्रियता से कार्य करती है। भाजपा नेता सरदार परविंदर के बारे में कहा कि यह भी अपनी टीम के साथ आपके आयोजनों में अपनी महती भूमिका निभाते हैं। गुरु महाराज से प्रार्थना करता हूं कि आपके आशीर्वाद से हम सब को शक्ति मिलेगी और देश-समाज के लिए कार्य कर सकेंगे।

इस मौके पर लखनऊ गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने कहा कि उप्र में जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है, तब से सब लोग अमन चैन से रह रहे हैं। सरदार परविंदर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कानून का राज कायम किया है तो धार्मिक स्थलों का विकास भी कर रहे हैं। आज उन्हीं मुख्यमंत्रित्व काल में अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हो रहा है। अयोध्या का विकास हो रहा है। भविष्य में जब-जब धर्मस्थलों के विकास और हिन्दू-सिख भाईचारे के बारे में चर्चा होगी तो योगी आदित्यनाथ स्तम्भ के तौर पर याद किए जाएंगे। कार्यक्रम में भाजपा महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी के अलावा सिख समाज के लोग मौजूद रहे।

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