Friday, May 17, 2024

एकल परिवार-सुख भी, तनाव भी

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परिवार अब पहले की तरह नहीं रहे हैं। परिवार में अब पति-पत्नी और बच्चों की ही दुनिया सिमट कर रह गई है। इसमें पारिवारिक दबाव भी कम होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अलग स्वतंत्रता होती है।

महिलाओं को एकल परिवार ज्यादातर पसंद आता है क्योंकि संयुक्त परिवारों में उन पर घर के काम का बोझ अधिक होता है जबकि एकल परिवारों में उन पर काम का दबाव कम होता है। दूसरे उनका स्वतंत्र व्यक्तित्व उभर कर आता है। वे अपने निर्णय स्वयं लेने लगी हैं। पति के साथ भी उनका रिश्ता अलग ही रंग लेकर आ रहा है।

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संयुक्त परिवारों में बढ़ते बच्चों पर ज्यादा टोकाटाकी की जाती है। उन्हें प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से सही गलत की राय देता है जिससे वे कन्फ्यूज होकर रह जाते हैं। वे अपनी सोच के अनुसार सही-गलत का निर्णय नहीं ले पाते। एकल परिवार में कम लोग होते हैं तो बच्चा भी कन्फ्यूज नहीं होता और वह सही-गलत का निर्णय कर पाता है।

एकल परिवारों में खर्चा कम होने से भी ये परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। दूसरे एकल परिवारों में जगह की भी कमी नहीं रहती। रहने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है जबकि संयुक्त परिवारों में जगह का हमेशा अभाव ही रहता है।

इन सबसे यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि एकल परिवार बेहतर होते हैं। जीवन जीने के लिए संयुक्त परिवार की सुरक्षा भी अपनी जगह होती है। संयुक्त परिवार में रहकर जो सुविधाएं आपको मिल सकती हैं वे एकल परिवार में नहीं मिल सकती।

खासकर नौकरीपेशा महिलाओं के लिए संयुक्त परिवार के कई फायदे हैं। अपने बच्चों की देखभाल के लिए वे संयुक्त परिवार में ही तनावमुक्त रह सकती है क्योंकि परिवार में ही उन्हें सही पालन-पोषण मिल सकता है।

परिवार से अलग ऐसी कोई व्यवस्था नहीं जहां मां अपने बच्चों को बेफिक्र  होकर छोड़कर जा सके। या तो उसे अपने घर में आया लगानी होगी या फिर अपने बच्चे को क्रच वगैरह में छोडऩा पड़ेगा। उस पर नौकरी के समय की परेशानी। देर शाम या रात की नौकरी के साथ तो यह सुविधा भी आपके बच्चे को नहीं मिल सकती। इसलिए ऐसे में संयुक्त परिवार ही सुरक्षा एवं सुविधा की दृष्टि से उत्तम रहते हैं।

अब जीवन की परंपरागत शैली से हटकर लोगों में संयुक्त परिवारों के बीच में एकल व्यवस्था की जाने लगी है। घर के सदस्यों को व्यक्तिगत आजादी दी जाती है। जो परिवार आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति में होते हैं वहां अपने विवाहित  बच्चों के लिए अलग-अलग कमरे और किचन बनाकर दे दी जाती है, या घर की अलग -अलग मंजिलें बनाकर उन्हें दे दी जाती हैं। इससे उनकी जिंदगी में निजता और स्वतंत्रता बनी रहती है और संयुक्त परिवार की सारी सुविधाएं भी उन्हें मिलती हैं।

कई बार माता-पिता स्वयं ही अलग रहना चाहते हैं। उन्हें अपने बच्चों की जीवन शैली का तरीका नहीं भाता इसलिए वे किसी तनाव या लड़ाई झगड़े के बगैर अलग-अलग रहने लगते हैं। इसके लिए उन्हें ज्यादा दूर जाने की भी जरूरत नहीं होती। ऐसे में वे आमने सामने भी रह सकते हैं। इससे उनकी अपनी स्वतंत्रता भी बनी रहती है और आपसी प्रेम भी बना रहता है। जरूरत के समय वे एक दूसरे के काम भी आ पाते हैं।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहने के लिए उसे सुरक्षा भी चाहिए जो उसे संयुक्त परिवार के साथ ही मिलती है। दूसरे प्रत्येक व्यक्ति की अपनी निजता भी होती है जो उसे एकल परिवार में ही मिलती है। कई बार वह जानबूझकर संयुक्त परिवार को छोड़कर अलग घर बसाता है तो कई बार उसकी मजबूरी होती है।

चाहे जो भी हो, एकल परिवार के जहां कुछ फायदे हैं तो वहीं कुछ परेशानियां भी हैं। ठीक इसी तरह संयुक्त परिवार के भी कुछ फायदे और नुकसान हैं।

बस यह हमेशा ध्यान रखें कि चाहे कहीं भी रहें मगर आपसी रिश्तों में किसी भी तरह की दूरी या दरार न आये। तीज-त्योहार और दुख-सुख में हमेशा साथ रहेंगे तो एकल होकर भी आप संयुक्त ही कहलायेंगे।
– शिखा चौधरी

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