नोएडा। अपनी गाढ़ी कमाई के लाखों-करोड़ों रुपए देकर लोग अपने सपनों का घर लेकर यह सोचते हैं कि अब जिंदगी थोड़ी आसान होगी। लेकिन हाईराइज सोसाइटी में रहने वाले लोगों की समस्या कम नहीं, बल्कि बढ़ ही रही है। यहां के लोगों को फायर से लेकर लिफ्ट तक की समस्या से रूबरू होना पड़़ रहा है।
हाई राइज सोसायटी में रहने वाले लोग लिफ्ट से आने-जाने में डर रहे हैं। डर इस बात का है कि ना जाने कब कौन से लिफ्ट कितनी देर के लिए बंद हो जाए या बीच रास्ते में अटक जाए।
3 अगस्त को नोएडा के सेक्टर 137 के पारस टियरा सोसाइटी में हुए लिफ्ट हादसे में एक 72 वर्षीय बुजुर्ग महिला की मौत होने के बाद लोग अब लिफ्ट को लेकर दहशत में हैं।
वहीं अब लिफ्ट एक्ट के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है और यह मुद्दा उत्तर प्रदेश के विधानसभा में भी नोएडा और जेवर के विधायक द्वारा उठाया गया है। इस पर ऊर्जा मंत्री ने यह आश्वासन दिया है कि जल्द ही इस एक्ट को पास किया जाएगा और दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए कठोर कानून बनाया जायेगा।
अभी तक लोग लिफ्ट में फंसते थे। उनका दम घुटता था, कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें निकाल लिया जाता था। लेकिन नोएडा के सेक्टर 137 पारस टियरा सोसाइटी में 3 अगस्त को हुए हादसे ने सब को दहला कर रख दिया है। इस लिफ्ट हादसे में बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। इसको लेकर के सोसाइटी के लोगों में काफी ज्यादा रोष है और लोग दहशत में भी हैं।
इस मामले में पुलिस ने पीड़ित की तरफ से दी गई शिकायत के आधार पर आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, इसमें सोसाइटी के मेंटेनेंस डिपाॅर्टमेंट और ए ओ ए के लोग शामिल हैं। थाना सेक्टर 142 इलाके में पड़ने वाली पारस टियरा सोसाइटी में हुए लिफ्ट हादसे में सुशीला देवी उम्र लगभग 72 साल, निवासी फ्लैट न0ं 803, टॉवर न0ं 24 पारस टियरा, सेक्टर 137, गौतमबुद्धनगर की मौत हो गई थी।
महीने में दर्जनों मामले आते हैं सामने :
हाईराइज सोसाइटियों में लिफ्ट में फंसना अब आम बात हो गई है। हर दूसरे या तीसरे दिन किसी न किसी सोसाइटी से खबर सुनने को मिलती है की लिफ्ट फंसने से इतने लोग उसमें कई मिनट तक फंसे रहे। कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाला गया। इनमें बुजुर्ग और बच्चों की संख्या ज्यादा होती है।
27 जून – गाजियाबाद की गौर होम सोसाइटी की लिफ्ट में 9 लोग फंस गए। अचानक लिफ्ट बंद होने के चलते वे करीब 15 मिनट तक अंदर चिल्लाते रहे।
10 जुलाई – ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बनी महागुन मंत्रा सोसाइटी में 10 जुलाई की रात 4 महिलाएं और 2 बच्चे लिफ्ट में करीब 20 मिनट तक फंसे रहें। सोसाइटी की मेंटेनेंस टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला। इस घटना के बाद से लिफ्ट में सवार बच्चे डर गए हैं वह सीढ़ियों से आने जाने को बात कर रहे हैं।
28 जुलाई – थाना सेक्टर 63 क्षेत्र के अंतर्गत कमलेश पुत्र रामकिशन, उम्र लगभग 29 वर्ष, जो सेक्टर 63 में एक कंपनी एफ 464 में सुपरवाइजर के पद पर काम करता था। वो कंपनी में लिफ्ट से ऊपर जा रहा था। अचानक लिफ्ट का तार टूटने के कारण लिफ्ट नीचे गिर गई। कड़ी मशक्कत के बाद उसे लिफ्ट के बाहर निकाला गया। कंपनी के कर्मचारियों द्वारा तत्काल उसे कैलाश हॉस्पिटल ले जाया गया। उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
3 अगस्त – नोएडा की सेक्टर-137 स्थित पारस टियारा सोसाइटी में बड़ा हादसा हो गया। यहां तार टूटने से लिफ्ट सीधे 24 फ्लोर से दो से तीन फ्लोर नीचे आकर रुकी। इससे लिफ्ट में मौजूद महिला को पैनिक अटैक आया और वो बेहोश हो गई। जानकारी मिलने के बाद लिफ्ट को खोला गया। महिला को नजदीक के अस्पताल में लाया गया। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया। महिला की उर्म करीब 72 साल के आसपास बताई जा रही है।
11 अगस्त – गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन की चार्म्स कैसल सोसायटी के डी टावर में लिफ्ट खराब होने से करीब 25 मिनट तक दो बच्चे और दो बुजुर्ग फंसे रहे। इंटरकॉम काम नहीं करने पर लिफ्ट से मोबाइल पर फोन करने पर लोगों ने लिफ्ट का दरवाजा तोड़कर लकड़ी की सीढ़ी लगाकर सभी को बाहर निकाला। लोगों में बिल्डर के खिलाफ गुस्सा है।
गौतमबुद्ध नगर के विधायकों ने उठाया विधानसभा में लिफ्ट एक्ट का मुद्दा :
नोएडा में लिफ्ट एक्ट के जल्द लागू होने की उम्मीद अब नजर आ रही है। नोएडा के विधायक पंकज सिंह और जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने यह मुद्दा विधानसभा में उठाया है। इस बाबत प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने अपने बयान में लिफ्ट एक्ट के जल्द लागू होने की उम्मीद जताते हुए कार्रवाई करने की बात कही है।
विधायक पंकज सिंह ने 21 जनवरी 2023 को पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मंडल की बैठक में मुद्दा उठाया था। उनकी ओर से 22 जनवरी को एक पत्र भी दिया गया था, इसके अलावा विधानसभा को भी सूचित करते हुए लिफ्ट एक्ट लागू करने की मांग की गई थी। उन्होंने विधानसभा में लिफ्ट एक्ट लागू करने व उक्त लोक महत्व के विषय पर वक्तव्य की मांग की थी।
इस मामले को लेकर अब उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा है कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी रेगुलेशन 2010 के प्रावधानों के अंतर्गत बिजली विभाग की ओर से समय-समय पर जांच की जाती है। इसी प्रकार से लिफ्ट के विभिन्न मामलों में विद्युत सुरक्षा निदेशालय के निरीक्षण के बाद रिपोर्ट जारी की गई है। प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण ऊंची इमारत की बढ़ती संख्या से लिफ्ट का प्रयोग बढ़ रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही लिफ्ट एक्ट लागू करने की दिशा में काम किया जाएगा।
मोटी मेंटेनेंस फीस लेने के बावजूद क्यों हो रहे हैं हादसे :
हाई राइज सोसाइटी में रहने वाले लोग हर महीने मोटी मेंटेनेंस फीस देते हैं। इसमें लिफ्ट मेंटिनेस भी शामिल होती है, लेकिन लगातार बढ़ते मामलों ने लोगों के सब्र के बांध को तोड़ दिया है। लोगों में रोष है और गुस्सा है। वे यह कहते हैं कि जब हम इतनी मोटी मेंटेनेंस फीस हर महीने भरते हैं, तो हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा। लिफ्ट हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन इसके पीछे की असल वजह क्या हो सकती है।
इस बारे में टाउन प्लानिंग एक्सपर्ट अभिनव सिंह चौहान बताते हैं कि अक्सर मेंटेनेंस डिपाॅर्टमेंट लिफ्ट की मेंटेनेंस करते वक्त समय सीमा का ध्यान नहीं रखता है और वह ज्यादा होने की वजह से और कई बार घटिया सामग्री इस्तेमाल करने की वजह से इस तरीके के हादसे होते हैं। लिफ्ट में लगे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के साथ हुई छेड़छाड़ भी लिफ्ट हादसे की वजह बनती है। इसीलिए जब छोटे बच्चे लिफ्ट में ट्रेवल करें तो उनके साथ एक बड़े का होना बेहद जरूरी होता है।
अधूरी सुविधाओं के बाद भी वसूला जाता है मेंटीनेस का पूरा शुल्क :
अधूरी क्लब सुविधा, असंतोषजनक सामान्य क्षेत्र की फिनिशिंग के साथ-साथ पार्क हो या बेसमेंट पार्किंग सभी जगह की गाथा कष्टदायक है। सबसे बड़ी बात है कि समिति के रखरखाव के लिए जमा किए फंड को कभी भी सोसाइटी के इन कामों में लगाया नहीं जाता, यह सबसे ज्यादा कष्ट दायक बात है। जो मेंटेनेंस समिति के लोगों से लिया जाता है अगर वह पूरी तरीके से समिति के कामों में लगाया जाए और उन अधूरी पड़ी जगह को ठीक किया जाए तो शायद यह समस्याएं लोगों को परेशान नहीं करेंगी।
लेकिन सबसे बड़ी बात है कि जिस तरीके से थर्ड पार्टी पर में समिति के मेंटेनेंस और अन्य कामों में इंवॉल्व होती है, उसे मुनाफाखोरी और अविश्वसनीयता बढ़ जाती है। मेंटेनेंस के लाभ पर लोगों से हजारों रुपए ले लिए जाते हैं और उसके बाद भी डीजी सेट चलाने के नाम पर और अन्य मदों पर खर्च होने वाले रुपए भी उन थोपे जाते हैं।