मेरठ। स्टाम्प वाद समाधान योजना को मेरठ में लागू किया है। जिसका उद्देश्य लंबित स्टाम्प वादों का शीघ्र और प्रभावी निस्तारण करना है। इस योजना के माध्यम से जिले के नागरिकों को विशेष लाभ मिलेगा। यहां के विभिन्न न्यायालयों में भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के तहत सैकड़ों मामले लंबित हैं। इन वादों के त्वरित निस्तारण से जहां सरकार को राजस्व की वसूली में तेजी आएगी, वहीं पक्षकारों को न्याय में देरी के कारण उत्पन्न ब्याज देयता से राहत मिलेगी।
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यह योजना 31 मार्च, 2025 तक प्रभावीस्टाम्प वाद समाधान योजना : बकाया स्टाम्प का पैसा जमा करके मुकदमे से मिलेगी मुक्ति रहेगी, जिससे नागरिक अपने लंबित मामलों का निस्तारण कर सकते हैं।
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मेरठ जिले में स्टाम्प वादों की बड़ी संख्या लंबित है। जिससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है और पक्षकारों को मुकदमों के लंबित रहने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। योजना पक्षकारों को बिना अतिरिक्त जुर्माना और अर्थदंड दिए अपने वादों का समाधान प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। इसके तहत, केवल स्टाम्प शुल्क और उस पर देय ब्याज की राशि को कोषागार में जमा कराकर मुकदमे का निस्तारण कराया जा सकता है।
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योजना के तहत, जिले के स्टाम्प कलेक्टर न्यायालय और अन्य संबंधित अधिकारी पक्षकारों को नोटिस जारी करेंगे। पक्षकारों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए नियमानुसार स्टाम्प शुल्क और ब्याज राशि को जमा करना होगा।
केवल 100 रुपये का टोकन अर्थदंड
इस प्रक्रिया में केवल 100 रुपये का टोकन अर्थदंड लिया जाएगा। धनराशि के सत्यापन के पश्चात संबंधित न्यायालय वाद का निस्तारण कर देगा और स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 42 के अंतर्गत प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। यह प्रमाण पत्र यह सुनिश्चित करेगा कि संबंधित वाद को अंतिम रूप से समाप्त कर दिया गया है।
जिलाधिकारी मेरठ और अन्य अधिकारीगण यह सुनिश्चित करेंगे कि योजना के तहत लंबित वादों का समयबद्ध निस्तारण किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी प्रकरण ऐसा न रह जाए जिसमें पक्षकार द्वारा धनराशि जमा करने के बावजूद वाद लंबित हो।