Saturday, May 24, 2025

हापुड़ गन्ना समिति में 7 करोड़ का घोटाला, मुज़फ्फरनगर-बिजनौर के गन्ना अफसर करेंगे जांच

हापुड़। हापुड़ गन्ना समिति में हुए लगभग सात करोड़ रुपये के घोटाले ने शासन को हिला दिया है। इस घोटाले को गंभीरता से लेते हुए गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने एक पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया है। खास बात यह है कि इस बार जांच में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए टीम में मुजफ्फरनगर और बिजनौर के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है। इससे पहले गठित स्थानीय जांच टीम को स्थगित कर दिया गया है।

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फर्जीवाड़े का पर्दाफाश, दो अधिकारी सस्पेंड

गन्ना समिति हापुड़ के लिपिक भारत कश्यप ने बचत खातों से करीब सात करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया। हैरानी की बात यह रही कि इतना बड़ा घोटाला होने के बावजूद अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। मामले के सामने आते ही भारत कश्यप और समिति के सचिव मनोज कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। लेकिन जांच में अब अन्य अधिकारियों की संलिप्तता की आशंका भी जताई जा रही है, जिससे प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई है। जिला मजिस्ट्रेट ने इस घोटाले में लेखाकार भरत, उनकी पत्नी, बहन, गन्ना सचिव और आईडीबीआई बैंक के मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे।

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भाकियू के दखल के बाद बदली जांच प्रक्रिया

इस प्रकरण की प्रारंभिक जांच के लिए एसडीएम अंकित वर्मा के नेतृत्व में एक स्थानीय जांच टीम बनाई गई थी, जिसमें सीटीओ और डीसीओ शामिल थे। लेकिन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के जिलाध्यक्ष पवन हूण ने जांच पर सवाल उठाते हुए बाहरी अधिकारियों से निष्पक्ष जांच की मांग की थी। इसी मांग को लेकर लखनऊ में ज्ञापन भी सौंपा गया। शासन ने इसे संज्ञान में लेते हुए स्थानीय टीम को भंग कर नई पांच सदस्यीय टीम गठित की है।

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नए जांच दल में कौन-कौन शामिल

गन्ना एवं चीनी आयुक्त द्वारा गठित नई जांच समिति में निम्न अधिकारी शामिल किए गए हैं:

  • अध्यक्ष: एडीएम (जिला अधिकारी द्वारा नामित)

  • सदस्य: मुख्य/वरिष्ठ कोषाधिकारी (डीएम द्वारा नामित)

  • सदस्य सचिव: संजय सिसौदिया, जिला गन्ना अधिकारी, मुजफ्फरनगर

  • सदस्य: फतेह सिंह चौधरी, संपरीक्षक, कार्यालय जिला गन्ना अधिकारी, बिजनौर

  • सदस्य: सुभाष यादव, सचिव, गन्ना समिति रामराज, मुजफ्फरनगर

सुरक्षा के बावजूद हो गया घोटाला

गौरतलब है कि समिति के सिस्टम पर सुरक्षा इंतजाम मौजूद थे। खातों से लेन-देन पर बैंक अलर्ट मैसेज आते थे और हर तीन महीने में उच्चाधिकारियों द्वारा निरीक्षण की व्यवस्था थी। इसके बावजूद फर्जी बाउचरों पर दो अधिकारियों के हस्ताक्षर पाए गए, जो घोटाले की गहराई और मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं।

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जांच रिपोर्ट से बढ़ सकती हैं मुश्किलें

अब सबकी निगाहें बाहरी जांच दल की रिपोर्ट पर टिकी हैं। रिपोर्ट के आने के बाद कई वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज गिर सकती है, जिनकी लापरवाही या मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया।

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