Monday, December 23, 2024

फिलिस्तीन की आड़ में आतंकवाद का समर्थन

भारत पिछले 40 सालों से भी ज्यादा समय से आतंकवाद से पीडि़त है । भारत ने इस्लामिक और खालिस्तानी आतंकवाद से बहुत नुकसान उठाया है । भारत को इसके कारण अपने हजारों नागरिकों की जान से हाथ धोना पड़ा है । हजारों सैनिकों और पुलिस कर्मियों ने भी देश पर अपनी जान कुर्बान की है ।
इसके अलावा भारत नक्सलवाद से भी पीडि़त है और यह भी आतंकवाद का ही दूसरा रूप है ।  जहां इस्लामिक आतंकवाद और खालिस्तानी आतंकवाद का आधार धर्म है, वहीं नक्सलवादी आतंकवाद का आधार वामपंथी विचारधारा है । आतंकवाद के कारण भारत को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा है ।
वास्तव में सच भी यही है कि भारत के दुश्मन भारत की तरक्की से परेशान होकर भारत को अपना निशाना बना रहे हैं । भारत की विभिन्नता में एकता पूरे विश्व में चर्चा का विषय है, इसलिए कुछ शक्तियां भारत को तोडऩे की कोशिश में लगी हुई हैं ।
कई बार ऐसा लगा कि ये शक्तियां कामयाब हो जायेंगी लेकिन जैसे तैसे भारत बचा रहा ।  आज कश्मीर में आतंकवाद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है लेकिन खालिस्तानी आतंकवाद फिर सिर उठा रहा है ।  भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि नक्सलवाद को दो साल में खत्म कर दिया जायेगा ।  सरकार की कोशिशों के फलस्वरूप नक्सलवाद धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है और सरकार चाहती है कि इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया जाये ।  भारत ने आतंकवाद के कारण इतनी पीड़ा सही है कि भारत हर प्रकार के आतंकवाद के विरोध में खड़ा हो जाता है ।
फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास ने इजराइल पर बेहद बर्बर तरीके से एक बड़ा आतंकवादी हमला किया है   जिसमें लगभग एक हजार इजराइली नागरिक मारे जाने की खबर है और कई हजार घायल हैं । वैसे देखा जाये तो इसे आतंकवादी हमला नहीं कहा जा सकता बल्कि यह एक देश पर सैन्य हमला दिखाई देता है । हमास ने इजराइल पर ऐसे हमला किया है, जैसे किसी देश की सेना पूरे सुनियोजित तरीके से संगठित होकर हमला करती है । इजराइल पर जमीन, आकाश और जल से एक साथ हमला किया गया है ।
आतंकवादियों ने नागरिकों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया है ।  महिलाओं को नंगा करके परेड कराई गई है, उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया है और उनके शवों के साथ भी बर्बरता की गई है । छोटे-छोटे बच्चों का कत्ल किया गया है, यहां तक की छोटी-छोटी बच्चियों के साथ उनके परिवार के सामने रेप किया गया है । जो जहां मिला, उसे वहां मार दिया गया है और सौ से ज्यादा नागरिकों को हमास के आतंकवादी उठाकर ले गये हैं ।
छोटे-छोटे बच्चों को जानवरों की तरह पिंजरे में बंद करके रखा गया है । इतिहास में हम पढ़ते आयें हैं कि किस तरह से विदेशी आक्रमणकारी भारतीय महिलाओं पर जुल्म करते थे, कुछ वैसा ही इजराइल में दिखाई दे रहा है । सोशल मीडिया में लोग पूछ रहे हैं कि क्या इसलिए राजपूत महिलाएं जौहर किया करती थी क्योंकि न सिर्फ जिंदा महिलाओं के साथ दरिंदगी की  जा रही है बल्कि उनके शव का भी अपमान किया जा रहा है । आईएसआईएस के आतंकवादी भी यजीदी महिलाओं के साथ ऐसा ही करते थे, जैसा हमास के आतंकवादी इजराइली महिलाओं के साथ कर रहे हैं।
निर्दोष नागरिकों की हत्या करना कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता । इजरायल बेहद खूंखार देश है, वो बड़ी बेरहमी से बदला लेता है और अब उसका बदला शुरू हो गया है । वो हमास आतंकवादियों के ठिकानों पर भीषण हवाई हमले कर रहा है और उसके लाखों सैनिक जमीनी हमले की तैयारी कर रहे हैं । उसने कहा है कि वो ऐसा बदला लेगा कि हमास की पीढिय़ां याद रखेंगी ।  इससे कौन इंकार कर सकता है कि इस कार्यवाही में आतंकवादियों के साथ-साथ आम फिलिस्तीनी भी मारे जायेंगे । सवाल सिर्फ यह है कि ऐसे हालात पैदा करने का जिम्मेदार कौन है?
हमास आतंकवादियों के विरोध और इजराइल के समर्थन में कुछ अरब देशों को छोड़कर पूरी दुनिया खड़ी हो गई है । हमले वाले दिन ही प्रधानमंत्री मोदी ने इजराइल को भारत का समर्थन दे दिया है ।  बिना किसी शर्त भारत सरकार आतंकवादी हमले के खिलाफ इजराइल के साथ खड़ी हो गई है । पूरा यूरोप, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे ताकतवर देश इजराइल के समर्थन में आ गये हैं । अमेरिका तो अपना जंगी बेड़ा लेकर इजराइल की मदद को पहुँच गया है ।
इजराइल अपनी लड़ाई लडऩे में पूरी तरह से सक्षम है लेकिन अमेरिका और यूरोप इसलिए समर्थन में खड़े हो रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कुछ मुस्लिम देश इजराइल की कार्यवाही रोकने के लिए उस पर हमला न कर दें ।  वास्तव में हमास ने एक बड़ा आतंकवादी हमला किया है और उसने बेहद  बर्बर तरीके से आम नागरिकों की हत्या की है ।  इजराइल पर हमले का दुनिया के कुछ हिस्सों में जश्न मनाया गया है । विशेष तौर पर कुछ देशों की जनता ने इसे इजराइल को सबक सिखाना मानकर हमास की जीत का जश्न मनाया है । भारत सहित कुछ गैर-मुस्लिम देशों में भी जश्न मनाया गया है । जश्न मनाने वालों ने यह भी नहीं सोचा कि इजराइल जब बदला लेगा तो मातम भी मनाना पड़ेगा और अब मातम शुरू हो गया है।
इजराइल ने कहा है कि वो अब मध्य-पूर्व का नक्शा बदल देगा और उसकी कार्यवाही उसी तरफ जा रही है । जैसे हमास ने निर्दोष नागरिकों का मारा था, अब इजराइल के हमले में भी निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं । इजराइल ने गाजा को सारी सप्लाई रोक दी है । इजराइल के रास्ते ही गाजा में बिजली, पानी, राशन और अन्य सामान जाता है लेकिन अब वो पूरी तरह से रोक दिया गया है ।  गाजा की सीमा इजिप्ट से लगती है लेकिन इजराइल द्वारा उसे सीधी धमकी दे दी गई है कि वो गाजा की मदद नहीं करेगा और इजिप्ट चुप बैठ गया है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह सब क्यों हो रहा है ? वास्तव में ज्यादातर लोगों में आतंकवाद को लेकर भ्रम की स्थिति है । मुस्लिम समाज का एक तबका आतंकवाद का समर्थन करता है । अपने अधिकारों और धर्म की रक्षा के लिए आतंकवाद को एक साधन के रूप में देखता है । दूसरी तरफ दुनिया का बुद्धिजीवी वर्ग है वो किसी न किसी बहाने आतंकवाद का समर्थन करता है । जहां आतंकवादियों को मुस्लिम समाज से धर्म का सहारा मिलता है, वहीं बुद्धिजीवियों से विचारधारा का सहारा मिलता है । भारत हमेशा से फिलिस्तीन का समर्थक रहा है क्योंकि भारत मानता है कि धर्म के आधार पर इजराइल बनाकर फिलिस्तीनियों से उनकी जमीन छीनी गई है । भारत का विभाजन भी धर्म के आधार पर किया गया था, इसलिये भी भारत फिलिस्तीन का समर्थक है  लेकिन अजीब बात यह है कि धर्म के आधार पर देश मांगने वाला पाकिस्तान इजराइल का विरोध करता है । पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और वो फिलिस्तीनियों के आतंकवाद का भी समर्थन करता है।
भारत आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीडि़त देश है, इसके बावजूद भारत की राजनीतिक पार्टियां हमास के आतंकवादी हमले पर चुप हैं । कांग्रेस ने हमास हमले पर चुप्पी धारण करके फिलिस्तीन का समर्थन कर दिया है । अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों ने हमास के समर्थन में जुलूस निकाला है । फिलिस्तीन के समर्थन में कोई बुराई नहीं है लेकिन जैसी बर्बरता हमास ने दिखाई है, उसका समर्थन करने वाले लोग मानसिक रूप बीमार कहे जायेंगे । यही लोग गाजा के लोगों के सबसे बड़े दुश्मन हैं क्योंकि हमास ने ऐसे ही लोगों की शह पर इतनी भयानक कार्यवाही की है । हमास की करनी का फल अब गाजा की निर्दोष जनता को भुगतना पड़ेगा और यह लोग अब पीडि़त होने का रोना रोयेंगे।
अन्त में इतना कहना चाहता हूं कि आतंकवाद अंत में उसको पैदा करने वाले का ही नुकसान करता है, कई मुस्लिम देश इसके बड़े उदाहरण हैं । फिलिस्तीन को अपनी लड़ाई दूसरे तरीके से लडऩी चाहिए थी लेकिन आतंकवाद का सहारा लेकर उसने दुनिया की सहानुभूति खो दी है । अब उस पर इजराइल का कहर बरसने वाला है और कोई उसको इससे बचा नहीं सकता । इजराइल से लड़कर ही उसने अपनी काफी जमीन गवां दी है, अब क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता । पंजाब ने आतंकवाद के कारण बहुत बुरा दौर देखा है, कश्मीर भी आतंकवाद की पीड़ा झेल रहा है  लेकिन सबसे बड़ा सच यह है कि आतंकवाद का सबसे बड़ा हितेषी और उत्पादक पाकिस्तान आतंकवाद के कारण अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है । आतंकवाद के कारण पाकिस्तान खत्म होने की कगार पर पहुँच गया है । अफगानिस्तान, इराक, ईरान, यमन, सीरिया और कुछ अफ्रीकी देश आज आतंकवाद से बहुत बुरी तरह से पीडि़त हैं । जब आतंकवादी हमला करते हैं तो वो नहीं सोचते हैं कि इससे धर्म की बदनामी होगी ।  संसार में बहुत से समुदायों का शोषण उत्पीडऩ हो रहा है, लेकिन आतंकवादी सभी समुदायों में नहीं होते ।  कई देशों में सैकड़ों आतंकवादी संगठन चल रहे हैं ।  आतंकवादी न केवल दूसरे समुदायों की लोगों की हत्याएं कर रहे हैं बल्कि अपने ही लोगों को भी उसी बेरहमी से मार रहे हैं । आतंकवाद का समर्थन करना मानवता के साथ धोखा है और खुद की बर्बादी का रास्ता तैयार करना है । हमास की बर्बादी यह बात दुनिया को जल्दी समझा देने वाली है लेकिन फिर भी कुछ लोग समझने वाले नहीं हैं।
-राजेश कुमार पासी

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