Monday, May 19, 2025

नायडू को तत्काल राहत देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, तीन अक्टूबर को सुनवाई की सहमति

नयी दिल्ली, – उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश में कौशल विकास केंद्रों की स्थापना में कथित घोटाले से संबंधित मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की पुलिस हिरासत के खिलाफ उनकी याचिका पर तत्काल विचार करने से इनकार कर दिया, लेकिन मुकदमा रद्द करने की गुहार पर विचार के लिए सहमति व्यक्त की।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।

पीठ ने कहा कि यह अदालत निचली अदालत को तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की पुलिस हिरासत की मांग करने वाले आवेदन पर विचार करने से नहीं रोकेगी।

शीर्ष अदालत के समक्ष वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने नायडू की याचिका शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि आठ सितंबर को याचिकाकर्ता नायडू को गैरकानूनी तरीके से पुलिस ने हिरासत में लियाहै। उन्होंने कहा कि दो दिनों के लिए पुलिस हिरासत दी गई थी और अब पुलिस 15 दिनों हिरासत मांग रही है।

श्री लूथरा ने मुकदमा को गलत बताते हुए दावा किया कि ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है, क्योंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं।

इस पर पीठ ने वकील से पूछा,“आज आप क्या चाहते हैं?”

श्री लूथरा ने अदालत से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए को देखने का अनुरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को हिरासत में नहीं रखा जा सकता।

उन्होंने कहा कि कोई भी पुलिस थाना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले लोक सेवक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को तीन अक्टूबर को एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

श्री लूथरा ने कहा कि अदालत एक बात पर विचार कर सकती है कि राज्य सरकार पुलिस हिरासत के लिए दबाव बना रही है और उन्हें पुलिस हिरासत के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए।

इस पर आंध्र प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि विशेष न्यायाधीश (जो जिला न्यायाधीश हैं) को इसका फैसला करने दें।

पीठ ने कहा कि वह निचली अदालत को आगे की पुलिस रिमांड की याचिका पर विचार करने से रोकेगी।

श्री नायडू ने उच्च न्यायालय के 22 सितंबर के आदेश के खिलाफ शनिवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें नौ दिसंबर 2021 को दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।

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