Wednesday, November 20, 2024

राहुल की सजा पर रोक की अपील पर सूरत के सत्र न्यायालय का निर्णय 20 अप्रैल को संभव

सूरत। ‘मोदी सरनेम’ पर मानहानि मामले में सूरत का सत्र न्यायालय कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट की ओर से सुनायी गयी सजा पर रोक की मांग संबंधी उनकी याचिका पर निर्णय 20 अप्रैल को सुना सकता है।

सूरत की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी के कर्नाटक में 2019 के चुनाव के दौरान एक सभा में दिये गये बयान के खिलाफ गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी की ओर से दायर मामले में 23 मार्च को उन्हें दो साल के कारावास की सजा सुनायी थी।

गांधी की ओर से उसके खिलाफ सत्र न्यायालय में याचिका दायर की गयी है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है और अगली सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की गयी है, उस दिन अदालत फैसला सुना सकती है।

गांधी की ओर से सत्र न्यायालय में दायर याचिका के पक्ष में दलील देते हुए उनके वकील ने कहा कि निचली अदालत में सुनवाई निष्पक्ष नहीं थी और इस मामले में उनके मुवक्किल को अधिकतम सजा नहीं दी जानी थी।

पूर्णेश मोदी ने न्यायालय में दायर अपने जवाब में गांधी की अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि कांग्रेस के नेता गांधी की इस तरह के मानहानि कारक बयान देने की आदत है। मोदी की ओर से गांधी को ‘आदती कुसूरवार’ बताते हुए उनकी सजा पर रोक के उनके अनुरोध का विरोध किया।

गांधी के वकील आर एस चीमा ने सत्र न्यायाधीश आर पी मोगेरा की अदालत में कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों को सही ढंग से नहीं देखा और केवल एक चुनावी सभा में दिये गये भाषण काे दूर से देखकर की गयी शिकायत पर इस मामले में अधिकतम सजा दिया जाना न्यायोचित नहीं बनता।

इसके खिलाफ मोदी के वकील हर्षित तोलिया ने कहा कि गांधी ने अपने भाषण मोदी सरनेम वाले सभी लोगों को बदनाम किया। उनके भाषण का भारत में लोगों पर भारी असर पड़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता ने अपने भाषण काे सनसनीखेज बनाने का प्रयास किया था।

वकील तोलिया ने कहा कि गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए चुनावी सभा में कहा था कि सारे चाेरों के नाम मोदी ही क्यों हैं। ढ़ूढ़ों और भी मोदी मिलेंगे। गांधी के इस भाषण से उनका मुवक्किल आहत हुआ और उनके खिलाफ इसी कारण शिकायत की। गांधी ने अपने बयान के लिए माफी मांगने से इन्कार कर दिया।

गाैरतलब है कि निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने और दो साल की सजा सुनाये जाने के बाद नियमानुसार श्री गांधी की लोकसभा सदस्य स्वत: समाप्त हो गयी है।

निचली अदालत ने उन्हें सजा सुनाते हुए 30 दिन के अंदर उसके खिलाफ उपयुक्त मंच पर अपील करने का मोहलत दी थी और इस अवधि के लिए उनकी जमानत मंजूर कर ली थी। उसके बाद गांधी ने स्थायी जमानत के साथ सजा पर रोक के लिए सत्र न्यायालय में अर्जी लगायी है।

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