Tuesday, April 8, 2025

यूपी में हैरतअंगेज मामला आया सामने, DM के पिता को कर दिया मुचलका पाबंद, वृद्ध को नहीं मिल पा रहा न्याय !

कानपुर। उत्तर प्रदेश में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है, कानपुर की पुलिस ने बाराबंकी के वर्तमान जिलाधिकारी और इससे पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष सचिव रहे 2015 के टॉपर आईएएस अधिकारी शशांक त्रिपाठी के वृद्ध पिता श्री नारायण त्रिपाठी को ही शांतिभंग के आरोप में मुचलका पाबंद कर दिया है, डीएम के वृद्ध पिता को भी पुलिस से न्याय नहीं मिल रहा है।

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मामला कानपुर के केशवपुरम स्थित नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ा है, जहां मंदिर की देखरेख को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। कल्याणपुर केशवपुरम निवासी श्री नारायण त्रिपाठी विकासनगर स्थित जुगल देवी शिशु मंदिर शाखा के प्रबंधक भी हैं। उनके पुत्र शशांक त्रिपाठी वर्तमान में बाराबंकी में जिलाधिकारी के पद पर तैनात है।

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पीड़ित श्री त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने करीब 10 वर्ष पूर्व नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय वहां अराजकता की स्थिति थी, लेकिन मंदिर का निर्माण और व्यवस्थाओं के बाद माहौल शांतिपूर्ण हो गया। उन्होंने और उनके सहयोगियों ने कई और मंदिरों का निर्माण कराया और एक समिति बनाकर सुचारू संचालन शुरू किया।

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श्री त्रिपाठी के बताया कि बिंदा सिंह नामक व्यक्ति ने फर्जी तरीके से समिति का रजिस्ट्रेशन सोसाइटी रजिस्ट्रार कार्यालय से करवा लिया। रजिस्ट्रेशन कराए जाने की जानकारी होने पर लोगों ने इसकी शिकायत एसीएम से की। जांच के बाद रजिस्ट्रेशन निरस्त हो गया। आरोप है कि इस समिति में कुछ मृत व्यक्तियों के नाम भी लिखे गए थे। इसी वजह से वह कोर्ट से भी निरस्त हो गई।

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महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर में चंदे से कार्यक्रम का आयोजन हुआ, इसी दौरान मंदिर का गुल्लक खोला गया। गुल्लक खोलने को लेकर विवाद खड़ा हो गया। पुलिस मौके पर पहुंची और शांति भंग की धारा में कार्रवाई की। त्रिपाठी का कहना है कि वह उस समय मौके पर मौजूद नहीं थे, इसके बावजूद मुचलका पाबंद की कार्यवाही में टाइपशुदा कागज में उनका नाम पेन से अलग से लिख दिया गया। अब पुलिस सुनवाई नहीं कर रही है।

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उन्होंने इस पूरे प्रकरण की शिकायत डीसीपी वेस्ट आरती सिंह से की है। डीसीपी ने मामले की जांच एसीपी कल्याणपुर को सौंपी है। डीसीपी का कहना है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस मामले को लेकर प्रशासनिक गलियारों में चर्चा तेज है, क्योंकि इसमें एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के परिजन का नाम सामने आया है।

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