नई दिल्ली। 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को गुरुवार को अमेरिका से भारत लाया जा रहा है। दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर गुरुवार को विमान पहुंचेगा, जहां उसकी एनआईए द्वारा गिरफ्तारी की जाएगी। जानकारी के अनुसार, तहव्वुर राणा को एयरपोर्ट से कड़ी सुरक्षा के बीच एनआईए मुख्यालय लेकर जाया जाएगा, जहां कानूनी प्रक्रिया के तहत एनआईए की टीम उसका मेडिकल कराएगी। राणा को तिहाड़ जेल में रखा जाएगा।
सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि 64 वर्षीय तहव्वुर राणा दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक हाई सुरक्षा वार्ड में रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि आतंकवादी को रखने के लिए जेल में सभी आवश्यक तैयारियां पहले ही कर ली गई हैं। बता दें कि राणा को लेकर एक विशेष चार्टर्ड विमान बुधवार (9 अप्रैल) को अमेरिका से भारत के लिए रवाना हुआ था। 2008 के मुंबई आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे। तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी गई।
तहव्वुर साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। राणा पर कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, हत्या, जालसाजी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम शामिल हैं। हालांकि, मुंबई पुलिस को अभी तक उसके शहर में स्थानांतरण के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। इस बीच, केंद्र सरकार ने 26/11 मुंबई हमले से जुड़े महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के लिए अधिवक्ता नरेंद्र मान को विशेष लोक अभियोजक (स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मामले आरसी-04/2009/एनआईए/डीएलआई और इससे संबंधित अन्य मुकदमों के संचालन के लिए की गई है।
नरेंद्र मान दिल्ली में एनआईए की विशेष अदालतों और अपीलीय अदालतों में एनआईए की ओर से पैरवी करेंगे। इसकी जानकारी सरकार ने एक आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन के जरिए दी। नरेंद्र मान की नियुक्ति इस अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख यानी 10 अप्रैल, 2025 से शुरू होगी। यह नियुक्ति 3 साल की अवधि के लिए होगी। मान को यह जिम्मेदारी तीन साल के लिए दी गई है, जो इस नियुक्ति की अधिसूचना प्रकाशित होने की तारीख से लागू मानी जाएगी। यदि ट्रायल इससे पहले पूरा हो जाता है, तो जिम्मेदारी वहीं खत्म हो जाएगी।
कानून के लंबे हाथ अंततः पाकिस्तानी-कनाडाई बिजनेसमैन तहव्वुर हुसैन राणा तक पहुंच ही गए, जो 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले का आरोपी है। राणा का प्रत्यर्पण पिछले एक दशक में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अथक प्रयासों का परिणाम है और यह वैश्विक मंच पर देश की बढ़ती हुई प्रतिष्ठा का संकेत है। राणा पर पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली की मदद करने का आरोप है। हेडली को 2008 हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है।
हालांकि हमलों के लिए भौतिक सहायता उपलब्ध कराने के आरोप से अमेरिकी जूरी ने राणा को बरी कर दिया था, लेकिन उसे दो अन्य आरोपों में दोषी पाया गया, जिसके लिए उसे 10 वर्ष से अधिक कारावास की सजा सुनाई गई। कोविड-19 महामारी के बाद खराब स्वास्थ्य के कारण उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया था, लेकिन भारत प्रत्यर्पण के लिए उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। दूसरी ओर, हेडली ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ एक समझौते के तहत प्रत्यर्पण के खिलाफ गारंटी हासिल कर ली थी। 18 अक्टूबर 2009 को, राणा और हेडली दोनों को शिकागो के ओ’हारे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आतंकवाद से संबंधित कई आरोपों में गिरफ्तार किया गया। ये आरोप 2008 के मुंबई हमलों और कोपेनहेगन में जाइलैंड्स-पोस्टेन पर योजनाबद्ध हमले में उनके शामिल होने से जुड़े थे।
हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की भारत में प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद भारत प्रत्यर्पित किए जाने से बचने की उसकी अंतिम कोशिश भी नाकाम हो गई थी। भारत में जांचकर्ताओं का हमेशा से मानना रहा है कि राणा हेडली से ‘बड़ा अपराधी’ है और उसका भारत प्रत्यर्पण देश के आतंकवाद विरोधी अभियान के लिए एक बड़ी सफलता होगी। 1961 में पाकिस्तान में जन्मा राणा, पाकिस्तानी सेना में एक डाक्टर के तौर पर काम कर चुका है। बाद में वह कनाडा चला गया और इमिग्रेशन सर्विस व्यवसायी बन गए। आतंकी हमलों से पहले, वह मुंबई गया था और ताज होटल में रुका था, जो जगहों में से एक था, जहां 26 नवंबर, 2008 को लश्कर आतंकियों ने हमला किया था।
राणा के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली (जन्म नाम दाऊद सईद गिलानी) ने मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में अपना अपराध स्वीकार कर लिया था और उसे 2013 में संघीय जेल में 35 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। लेकिन उसकी यह दलील कि उसे भारत, पाकिस्तान या डेनमार्क प्रत्यर्पित नहीं किया जाना चाहिए, अमेरिकी अदालत ने स्वीकार कर ली। बता दें 26 नवंबर 2008 की रात को 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर एक साथ हमला किया था। उन्होंने दो पांच सितार होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया।
हमलों में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे। हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था जिनमें से 9 को मार गिराया गया। हमले में शामिल एक आतंकी अजमल कसाब को गिरफ्तार कर लिया गया जिसे 21 नवंबर, 2012 को पुणे के यरवडा जेल में फांसी दे दी गई। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान भारत को उसके प्रत्यर्पण की घोषणा की थी। उन्होंने पीएम मोदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके प्रशासन ने ‘दुनिया के सबसे बुरे व्यक्ति’ राणा को ‘भारत में न्याय का सामना करने के लिए’ प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दे दी है।