Monday, April 28, 2025

बरेली में आवारा पशुओं का आतंक, एक माह में सांडों के हमले से चार मौत

बरेली- उत्तर प्रदेश के बरेली में शहर से लेकर देहात तक आवारा जानवरों का आतंक फैला हुआ है। इन आवारा जानवरों की वजह से कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं। चाहे वह आवारा कुत्तों का हमला, बंदरों के झुंड का आतंक या फिर सांडों का हमला। बीते साल बंदरों व कुत्ते के हमले से करीब आधा दर्जन लोग अपनी जान गवां चुके हैं। बरेली जिले में बीते एक महीने में सांड के हमले से चार मौते हुई हैं।


नगर निगम व नगर पंचायतें, उप जिलाधिकारी आवारा पशुओं को पकडने के दावे कर रहे हैं लेकिन यह दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं और आवारा जानवरों विशेषकर सांडों के हमलों की घटनाएं बादस्तूर जारी हैं।
तीन जनवरी 2024 को सीबीगंज के मथुरापुर निवासी पीके कंपनी के सुपरवाइजर अनिल बाइक से फैक्ट्री जा रहे थे। इस दौरान उन्हें सांड ने रास्ते में घेर लिया और अपने सीगों से हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। उपचार के दौरान अस्पताल में उनकी मौत हो गई।


नौ जनवरी 2024 को थाना प्रेमनगर के झूलेलाल गेट के पास रहने वाले बनवारी लाल डेलापीर मंडी से सब्जी लेकर घर आ रहे थे। इस दौरान उन्हें सांड ने पटक-पटक कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। राजेंद्र नगर स्थित निजी अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।

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24 जनवरी 2024 को बारादरी के संजय नगर निवासी रिटायर्ड बैंक मैनेजर करुणा शंकर पांडेय मार्निंग वॉक से आ रहे थे। घर से कुछ दूरी पर उन पर सांड ने हमला कर दिया। और उनको पटक-पटक कर मौत के घाट उतार दिया।
3 फरवरी 2024 को थाना साही के गांव सिहौर निवासी 65 वर्षीय बुजुर्ग जागनलाल दोपहर को दरवाजे पर बैठे धूप सेंक रहे थे। इस दौरान वहां से गुजर रहे आवारा सांड ने उन पर हमला बोल दिया। उनकी मौक पर ही मौत हो।


जिम्मेदार अफसर और संबंधित विभाग लगातार आवारा पशु पकड़े जाने की बाजीगरी कागजों में दिखा रहे हैं जबकि स्थिति यह है कि जगह-जगह आवारा पशु और सांडों के सड़कों पर लड़ने और लोगों के घायल होने की शिकायतें लगातार आ रही है। सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति स्मार्ट सिटी क्षेत्र में है। हाईवे पर खुलेआम आवारा पशु इधर-उधर दौड़ते हुए दिख जाते हैं जिनसे लगातार दुर्घटनाएं भी हो रही है।
गौरतलब है कि पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह भी बरेली जिला से संबंधित है। उन्होंने कई बार निर्देश भी दिए हैं लेकिन आवारा पशुओं के आतंक को खत्म करने के लिए धरातल पर कुछ प्रभावी होता नजर नहीं आ रहा है।

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