मुजफ्फरनगर। हत्या के एक मामले में पुलिस द्वारा साक्ष्य संकलन और गुणवत्तापूर्ण विवेचना के आधार पर दोषी पाए गए आरोपी को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दोषी पर अर्थदंड भी लगाया गया। पुलिस ने अपराध के सभी पहलुओं की गहनता से जांच की और न्यायालय में ठोस साक्ष्य प्रस्तुत किए। अभियोजन पक्ष ने मामले की सशक्त पैरवी की, जिसके आधार पर अदालत ने यह सख्त सजा सुनाई।
थाना नई मंडी क्षेत्र में 2002 में हुए हत्या के एक मामले में अदालत ने आरोपी नौशाद पुत्र जहूर अंसारी निवासी जौली थाना भोपा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी पर धारा 302 और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
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श्रीमती रीता पत्नी उमेश निवासी रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर ने थाना नई मंडी में लिखित तहरीर दी थी। इसमें बताया गया कि आरोपी नौशाद ने उनकी बहन गंगा की गोली मारकर हत्या कर दी। तहरीर के आधार पर मुकदमा संख्या 64० 640 /2002 के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 28 नवंबर 2002 को आरोपी नौशाद को गिरफ्तार किया। मामले की गहन विवेचना कर पुलिस ने सभी आवश्यक साक्ष्य एकत्र किए।
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13 जनवरी 2003 को आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया। साक्ष्यों और अभियोजन की प्रभावी पैरवी के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया। नौशाद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। जिले की अदालत ने हत्या जैसे जघन्य अपराध में दोषी नौशाद पुत्र जहूर अंसारी निवासी जौली, थाना भोपा को आजीवन कारावास और 10000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। यह फैसला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह के निर्देशन में, क्षेत्राधिकारी नई मंडी श्रीमती रुपाली राव और थाना प्रभारी दिनेश चंद के नेतृत्व में की गई प्रभावी पैरवी का परिणाम है।
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2002 में रामपुर तिराहा निवासी रीता द्वारा दी गई तहरीर के अनुसार, आरोपी नौशाद ने उनकी बहन गंगा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना पर थाना नई मंडी में मुकदमा संख्या 640/2002 धारा 302 और 34 भादवि के तहत मामला दर्ज किया गया था। थाना नई मंडी पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को 28 नवंबर 2002 को गिरफ्तार कर लिया। विवेचना के दौरान समस्त साक्ष्य एकत्र कर 13 जनवरी 2003 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया।
12 दिसंबर को एडीजे-०4, मुजफ्फरनगर की अदालत ने साक्ष्यों और अभियोजन की सशक्त पैरवी के आधार पर आरोपी नौशाद को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 10000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। इस मुकदमे में लोक अभियोजक कमलकांत ने प्रभावी पैरवी की। गवाहों को समय पर न्यायालय में उपस्थित कराना और सशक्त अभियोजन करना, इस मामले को सफलता तक प