वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने लगातार तीसरे दिन रविवार को सर्वे की प्रक्रिया पूरी की। सुबह लगभग 09 बजे से शुरू हुए सर्वे में एएसआई टीम ने मुस्लिम पक्ष से चाबी लेकर व्यास तहखाना खुलवा कर पैमाइश की। टीम ने दीवारों की 3-डी फोटोग्राफी, स्कैनिंग करने के बाद तीनों गुंबदों की गहनता से जांच और माप की।
दोपहर में लंच ब्रेक और नमाज के लिए सर्वे कार्य कुछ देर रोका गया। इसके बाद अपरान्ह दो बजे सर्वे कार्य फिर शुरू हुआ। इस दौरान वादी और प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं की भी मौजूदगी रही। सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के आंतरिक हिस्से की मैपिंग और स्कैनिंग के साथ ही फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का काम भी हुआ।
सर्वे में जांच पड़ताल के लिए किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है। न ही कहीं खोदाई हुई है। इसके पहले लंच ब्रेक के दौरान वादी पक्ष के अधिवक्ता कचहरी जाने के लिए ज्ञानवापी से बाहर आए तो उन्होंने मीडिया कर्मियों को बताया कि सब कुछ सामान्य तरीके से चल रहा है। सर्वे में सभी पक्ष सहयोग कर रहे हैं। सर्वे में व्यास तहखाने का ताला खुलवाने के बाद सफाई करवाई गई। टीम ने इमारत और तहखाने की थ्री-डी इमेजिंग के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) की मदद ली। सर्वे की प्रक्रिया पूरी करने के बाद वादी हिन्दू पक्ष, मुस्लिम पक्ष और उनके अधिवक्ता के साथ ही एएसआई की टीम काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार से शाम पांच बजे बाहर निकली।
सर्वे को लेकर अफवाह फैलाने का आरोप
ज्ञानवापी परिसर में पिछले तीन दिनों से चल रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) टीम के सर्वे में प्रतिवादी पक्ष ने दो दिन सहयोग दिया है। सर्वे में शामिल मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद का आरोप है कि सोशल मीडिया से अफवाह फैलाया जा रहा है। सर्वे में कोई मूर्ति या त्रिशूल नहीं मिला है। एक चैनल से बातचीत में अधिवक्ता ने कहा कि सर्वे में मेरा प्रतिनिधि मौजूद है। उसने कोई भी साक्ष्य मिलने की बात नहीं कही है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए, कानून व्यवस्था बनाए रखना उनका कर्तव्य है। अगर अफवाह पर रोक नहीं लगी तो हमलोग सर्वे से अलग हो जाएंगे। मुस्लिम पक्ष वादी और वादी पक्ष के अधिवक्ताओं के बयान को लेकर भी नाराज है।