मेरठ। मेरठ में पिछले कई दिनों से चले आ रहे शहरकाजी पद के लिए विवाद खत्म हो गया है। मेरठ के शहर काजी डॉ. जैनुससालिकीन सिद्दीकी बने रहेंगे। शहर कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने उनके सिर पर हाथ रखकर आर्शिवाद दिया और कहा कि वह सालिकीन को बेटे की मानेंगे। शहर कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि वो पूरी तरह से सालिकीन के साथ हैं। वहीं दूसरी ओर सालिकीन ने भी कहा कि कारी शफीकुर्रहमान पहले की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे।
10 मार्च को शहर काजी प्रो. जैनुस साजिदीन का इंतकाल होने के बाद उनके बेटे डॉ. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी को शहर काजी बनाया गया था। इसका कारी शफीकुर्रहमान ने विरोध कर दिया था। उनका कहना था कि सालिकीन नाअहल यानी इस पद के लायक नहीं है, वह आलिम भी नहीं है। वह तो अलीगढ़ में रहते हैं, वह कैसे इस जिम्मेदारी को उठा सकते हैं। कैसे ईद की नमाज ऐसे व्यक्ति के पीछे पढ़ी जाएगी, जो आलिम है ना मौलवी।
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तब डॉ. सालिकीन ने कहा था कि उनका परिवार मुगलों के वक्त से ही शहर काजी पद की जिम्मेदारी निभाता आ रहा है। वे अपने परिवार की परंपरा के अनुसार शहर में अमन और शांति का पैगाम देते हुए शहर काजी पद पर काम करेंगे। इसके बाद कुछ लोगों ने कारी शफीकुर्रहमान को भी शहर काजी की पगड़ी बांध दी। तब से दोनों का ही जगह-जगह शहर काजी के तौर पर स्वागत किया जा रहा था।
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बीते शुक्रवार को जामा मस्जिद में कारी शफीकुर्रहमान को लोगों ने तकरीर करने के लिए माइक नहीं दिया था और उनका जोरदार विरोध कर दिया था। शनिवार को जामा मस्जिद मामले में कारी शफीकुर्रहमान कासमी के समर्थन में लोगों ने आरटीओ ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया था। वह कलक्ट्रेट में ज्ञापन देने जा रहे थे, लेकिन उन्हें कलक्ट्रेट नहीं जाने दिया गया था और ज्ञापन वहीं लिया गया था। ज्ञापन में कारी शफीकुर्रहमान से दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर कार्रवाई की मांगी गई थी।
इसी मामले में गत सोमवार को वेस्ट एंड रोड स्थित कैसल व्यू में मुस्लिम समाज के जिम्मेदारों की बैठक हुई। इसमें कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि डॉ. सालिकीन ही शहर काजी हैं और पूर्व की तरह वह अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे। वहीं डॉ. सालिकीन ने भी कहा कि वह कारी शफीकुर्रहमान को वही अहमियत देंगे जो उनके वालिद के वक्त में थी। साथ ही कारी पहले की तरह जुमे और ईद की नमाज से पहले तकरीर करेंगे। डॉ. सालिकीन तय करेंगे कि ईद की नमाज कौन पढ़ाएगा। इस दौरान दोनों पक्षों से एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी कराए गए। इस दौरान इसरार सैफी, मंजूर सैफी, शकील सैफी, बदर अली, शाहिद, कावड़ शेख, अख्तर आलम, सबीर खान, हाजी सिराज रहमान, कारी अफ्फान, मो. हस्सान आदि रहे।