लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान, लखनऊ में पढ़ रहे 23 वर्षीय MBBS इंटर्न डॉक्टर विवेक कुमार पांडे की बुधवार रात हार्ट अटैक से मौत हो गई। कार्डियक अरेस्ट के कारण उनकी जान चली गई, जबकि शुरुआती सभी मेडिकल जांचों में हार्ट अटैक के लक्षण सामने नहीं आए थे। यह घटना न केवल चिकित्सा जगत को झकझोरने वाली है, बल्कि युवाओं में तेजी से बढ़ रहे हृदय रोगों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
डॉ. विवेक की तबीयत रात 11 बजे डिनर के बाद अचानक बिगड़ गई। उन्हें बेचैनी होने लगी और 2 घंटे तक लगातार उल्टियां होती रहीं। इसके बाद सीने में तेज दर्द उठा। लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में लाए जाने के बाद ECG और ट्रॉप-टी टेस्ट किए गए, जिनमें दोनों बार रिपोर्ट सामान्य आई। इसके बावजूद इलाज के तीन घंटे बाद उनकी मृत्यु हो गई।
मेडिकल रिपोर्ट में क्यों नहीं पकड़ में आया हार्ट अटैक?
संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. भुवन चंद तिवारी ने बताया कि कभी-कभी गंभीर हार्ट अटैक की स्थिति में भी ट्रॉप-टी टेस्ट नेगेटिव आ सकता है। यही कारण रहा कि प्रारंभिक जांच में खतरे का अंदाजा नहीं लग पाया। इलाज के दौरान वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट की टीम भी मौजूद रही, लेकिन विवेक को नहीं बचाया जा सका।
पहले से थे डायबिटीज और बीपी के मरीज
डॉ. विवेक को 5-6 सालों से हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की शिकायत थी, जिसके लिए वे नियमित दवाइयाँ लेते थे। वह लोहिया संस्थान के MBBS इंटर्न हॉस्टल में रहते थे और प्रतापगढ़ के रहने वाले थे। उनकी अभी शादी नहीं हुई थी।
कम उम्र में हार्ट अटैक—चिंता का विषय
प्रो. तिवारी ने कहा, “आजकल कम उम्र में भी हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट से मौत के कई मामले आ रहे हैं। खराब लाइफस्टाइल, तनाव, अनियमित खानपान और पहले से मौजूद बीमारियाँ युवाओं में सडेन डेथ का कारण बन रही हैं।” उन्होंने युवाओं को समय-समय पर हार्ट की जांच करवाने और हेल्दी जीवनशैली अपनाने की सलाह दी।
डॉ. विवेक की असामयिक मृत्यु मेडिकल फील्ड में मौजूद लोगों के लिए भी एक चेतावनी है कि स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही नहीं बरती जा सकती, चाहे आप डॉक्टर ही क्यों न हों। युवाओं को समय रहते अपनी स्वास्थ्य जांच और जीवनशैली पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।