Friday, November 22, 2024

संघवाद विरोधी है आम बजट- विपक्ष

नयी दिल्ली। आम बजट 2024-25 को लेकर शुक्रवार को राज्यसभा में पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने अलग अलग मत व्यक्त किये, जिसमें विपक्ष ने इसे संघवाद विरोधी बजट बताया तो सत्तापक्ष के समर्थकों ने इसको सर्वजन हिताय बजट करार दिया।

 

सदन में आम बजट पर जारी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए वाईएसआरसीपी कांग्रेस के एस निरंजन रेड्डी ने कहा कि उनके दल के के. विजय साई रेड्डी ने बजट को लेकर अलग बात कही है लेकिन वह कुछ अलग बात करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के हर संकेत बेहतर प्रतीत हो रहे हैं और वित्त मंत्री ने मध्यकालिक या दीर्घकालिक तौर पर ध्यान दिया है लेकिन निजी क्षेत्र का निवेश कम हो रह है और असमानता बढ़ रही है।

 

उन्होंने कहा कि बजट में इंफ्रा बढ़ाने पर जोर देते हुए अदालतों के लिए बुनियादी सुविधाओं बढ़ाने की बाबत 900 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो पिछले वित्त वर्ष के आवंटन की तुलना में एक तिहाई अधिक है। इससे अदालती बुनियादी सुविधाओं के विकास को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि शहरी नियोजन एक समस्या है और इसको लेकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर कारोबारियों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। कई अदालतों में इस तरह मामले चल रहे हैं। जो व्यक्ति सैकड़ों के कर दे रहा है, क्या वह व्यक्ति एक-दो करोड़ रुपये के जीएसटी की चोरी करेगा। यह समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निजी निवेश बढ़ाने के लिए काम किये जाने की जरूरत है।

 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संतोष कुमार पी ने बजट को संघवाद विरोधी बताते हुए कहा कि यह बहुत ही खराब बजट है। बजट को फिर से बनाये जाने की जरूरत है। यह बजट न सिर्फ किसान विरोधी है बल्कि इसमें युवाओं और देश के विकास को गति देने का कोई स्पष्ट खाका नहीं है। इसके साथ ही महंगाई को काबू करने के कोई उपाय नहीं किये गये हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये हैं लेकिन दूसरी ओर 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज देने की घोषणा की जाती है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए अलग बजट लाये जाने की जरूरत है।
राष्ट्रीय जनता दल के ए डी सिंह कहा कि सरकार को कृषि के लिए विशेष पहल करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को धान की खेती को छोड़कर दलहन की खेती करने वालों को बढ़ावा देना चाहिए।

 

 

उन्होंने कहा कि भूमि स्वास्थ्य कार्ड भी बनाये जाने की जरूरत है ताकि किसानों को यह पता होना चाहिए कि उनके खेत के लिए किस उर्वरक की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष पैकेज देने का कोई उल्लेख नहीं है जबकि आंध प्रदेश के विभाजन के समय इस तरह के प्रावधान किये गये थे। उन्होंने कहा कि बिहार व्यय करने के लिए सही राज्य नहीं हो सकता है, लेकिन राज्य में व्यय बढ़ाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है।

 

मनोनीत गुलाम अली ने बजट का समर्थन करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देशवासियों ने तीसरी बार देश चलाने के लिए चुना है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को बल दिया गया है। इससे आयकरदाताओं की संख्या बढ़ी है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से कई तरह के अप्रत्यक्ष करों को एक कर दिया गया है। एक हजार दो सौ से अधिक ऐसे कानून समाप्त किये गये हैं जिनका कोई मतलब नहीं था।

 

उन्होंने बजट को आम लोगों, किसान और युवाओं के हित में बताते हुए कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता कहते हैं कि यह बजट उनके चुनाव घोषणा पत्र की नकल है जबकि कुछ कांग्रेस सदस्य इसको बकवास बताते हैं। पहले कांग्रेस के नेता यह तय करें कि यह बजट उनके घोषणा पत्र की नकल है या नहीं।

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