गाजियाबाद। नगर निगम द्वारा दुकान किराया वृद्धि का मामला एक बार फिर से तूल पकड़ रहा है। दुकान का बढ़ा किराया निगम वापस लेने को तैयार नहीं और व्यापारी बढ़ा किराया जमा ना करने की जिद पर अड़े हैं। कुल मिलाकर दुकान किराया वृद्धि को लेकर दोनों ही पक्ष आमने सामने हैं। दुकान किराया वृद्धि का मामला तूल पकड़ रहा है। इस मामले के आगामी बोर्ड बैठक में उठने के आसार हैं। निगम पार्षद इस मामले पर हंगामा कर सकते हैं। नगर निगम ने किराये में आंशिक राहत देने के संकेत व्यापारियों को दिए हैं परन्तु व्यापारी प्रस्तावित दरों पर बिल्कुल भी सहमत नहीं है। इस बारे में विरोध स्वरूप व्यापारियों ने मामले को प्रभारी मंत्री असीम अरुण के सामने भी उठाया था।
नौ जनवरी 2024 को नगर निगम बोर्ड की बैठक में 1702 दुकानों के किराया वृद्धि पर चर्चा हुई थी। जिसके बाद बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास कर दिया गया था। पार्षदों का कहना था कि निगम की दुकानें को आवंटित कराकर व्यापारी नाममात्र का किराया दे रहे हैं और दुकानों से मोटा व्यापार कर रहे हैं। इस पर बोर्ड बैठक में निगम के चार जोन के बाजारों की दुकानों के किराये में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूर किया था। नई दरों के अनुसार किराये में चार से 18 हजार रुपये की वृद्धि की गई थी। निगम के दुकान किराया वृद्धि के विरोध में व्यापारियों ने मोर्चा खोल दिया था और सड़कों पर उतर आए थे। किराया वापसी की मांग करते हुए व्यापारियों ने धरना-प्रदर्शन किया था और बाजार भी बंद किए थे। हंगामा प्रदर्शन और विरोध को देखते हुए मसले के समाधान के लिए निगम अधिकारियों और व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की संयुक्त कमेटी बनाई थी।
लेकिन कमेटी भी अभी तक कुछ हल नहीं निकाल सकी है। कुछ दिन पूर्व व्यापारियों का प्रतिनिधिमंडल नगर आयुक्त से मिला था। जिसमें व्यापारियों ने किराया वृद्धि वापस लेने की मांग दोहराई थी। लेकिन नगर आयुक्त ने स्पष्ट कर दिया था कि किराये की दरों में आंशिक कमी तो की जा सकती है लेकिन किराया वृद्धि पूरी तरह से वापस नहीं हो सकती है। निगम दुकान किराया विवाद को लेकर एक बार फिर से निगम अधिकारियों और व्यापारियों के बीच बैठक होनी है।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी राजू छाबड़ा का कहना है कि नगर निगम का प्रस्तावित किराया काफी अधिक है। निगम ने 1997 में किराया रिवाइज किया था। प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल पर 12 प्रतिशत किराया बढ़ाकर या मौजूदा किराये को दोगुना करने पर सहमति बनाई जा सकती है। लेकिन जो दरें निर्धारित की गई हैं उससे दुकानदारों पर अधिक भार बढ़ेगा।
नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने नगर निगम का रूख स्पष्ट किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि किराया आंशिक रूप से कम करने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन प्रस्तावित दरों को दुकानदारों की मांग के अनुसार कम कर पाना संभव नहीं है। व्यापारी अगर सुझाव से सहमत हो तो प्रस्ताव को 20 जुलाई को नगर निगम बोर्ड में दोबारा से रखा जा सकता है।