मेरठ। गाजियाबाद के भट्ठा व्यापारी की हत्या के बाद आरोपियों ने शव को लेकर कई थाने पार किए लेकिन, पुलिस को कोई भनक न लगी। इसके बाद आरोपी ने शव को मेरठ में दफनाया और पीड़ित परिवार के साथ हितैषी बनकर घूमता रहा।
गाजियाबाद के भट्ठा व्यापारी योगेंद्र का शव लेकर विकास और उसके साथी कई थाने पार कर मेरठ पहुंच गए, लेकिन कहीं भी पुलिस ने चेकिंग नहीं की। इससे कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।
योगेंद्र का शव जिस जगह मिला, उससे कुछ ही दूरी पर सिवाया-पबरसा मार्ग पर बीते वर्ष नाले में एक युवक का शव मिला, जिसका सिर नहीं था। आज तक उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी। मेरठ में कई शव पहले भी फेंके गए हैं।
योगेंद्र की हत्या के बाद अपनी कार में शव लेकर विकास गाजियाबाद से सिवाया तक कई थानों को पार करके पहुंच गया। गाजियाबाद के डीसीपी नगर ज्ञानंजय सिंह ने बताया कि विकास और दोनों साले रोहित व मनीष हिरासत में हैं। पूछताछ में उन्होंने खुलासा किया है कि विकास के ऊपर ढाई-तीन लाख रुपये का कर्ज हो गया था। फिरौती वसूलने के बाद हत्या की प्लानिंग की थी।
परिजनों ने योगेंद्र के 2500 पंफलेट छपवाकर क्षेत्र में लगा दिए थे। व्यापारी देवेंद्र के दो बेटी मेघा व शिवांगी हैं। देवेंद्र ने बताया कि बड़ी बेटी मेघा की शादी हो चुकी है, योगेंद्र दूसरे नंबर व शिवांगी तीसरे नंबर की है। घर का इकलौता चिराग होने के चलते योगेंद्र सभी का लाडला था। कम उम्र में ही उसने पिता के साथ काम में साथ देना शुरू कर दिया था। ईंट सप्लाई का सारा कार्य योगेंद्र देखता था। बेटे की हत्या के बाद पिता देवेंद्र व माता गीता का रो-रोकर बुरा हाल है।
हत्या कर शव मेरठ में दबाने के बाद विकास दो मई को गैराज पर पहुंच गया। किसी को शक न हो इसलिए योगेंद्र के परिजनों का हितैषी बना रहा और उन्हें गुमराह करना शुरू कर दिया। पुलिस ने योगेंद्र की कॉल डिटेल निकाली तो कोई जानकारी सामने नहीं आई। विकास ने एक मई की रात 8:05 पर योगेंद्र का फोन बंद कर दिया था।