-के. विक्रम राव
यदि तरन तारण (पंजाब) की कुड़ी निक्की इस वर्षांत में अमेरिकी चुनाव में बाइडेन को हराकर 47वीं
राष्ट्रपति निर्वाचित हो गईं तो ? वह विलक्षण इतिहास रचेंगी। अफ्रीकी मूल के बराक ओबामा के
बाद एशियाई मूल की वे प्रथम व्यक्ति होंगी, पहली महिला भी मगर इससे पूर्व उन्हे 73-वर्षीय
डोनाल्ड जान ट्रंप से पार्टी टिकट छीनना पड़ेगा। नामांकन हासिल करना होगा।
यदि इस 51-वर्षीया
भारतवंशी, निक्की माइकेल हेली उर्फ निम्रता अजीतसिंह रंधावा का मुकाबला 81-वर्षीय बाइडेन की
जगह कहीं 59-वर्षीया उपराष्ट्रपति कमलादेवी डगलस हैरिस से पड़ा तो ? टक्कर दो भारतमूल के ही
प्रत्याशियों के बीच ही होगी। अत्यंत दिलचस्प रहेगी। पहली बार महिलायें प्रतिस्पर्धी होंगी।
पंजाबी गाँव पंडोरी रणसिंघ की इस छोरी को उनकी रिपब्लिकन पार्टी द्वारा अभी अपना प्रत्याशी तय
किया जाना बाकी है। पूर्व पराजित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पहले ही अपनी दावेदारी फिर जता चुके हैं।
अगर अब नई दावेदारी नहीं आई तो रिपब्लिकन पार्टी को ट्रम्प और निक्की में से किसी एक को नामित करना होगा किन्तु फ्लोरिडा के रिपब्लिकन गवर्नर रान डिसेंटिस भी दावेदार हैं। निक्की पार्टी के भीतर ट्रम्प की धुर विरोधी रही हैं। ट्रम्प की लोकप्रियता गिरने की वजह से निक्की बहुत तेजी से उभरी हैं।
दूसरी ओर डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता बाइडेन लोकप्रियता गिरने के कारण चुनाव से हट सकते हैं। इस स्थिति में उपराष्ट्रपति कमलादेवी हैरिस दावेदार होंगी। साथ ही अमेरिका को तब पहली बार महिला राष्ट्रपति मिलेगी।
निक्की के पिता अजीतसिंह रंधावा लुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और
1960 में एग्रीकल्चर में पीएचडी करने के बाद अमेरिका आ गए थे। मां सरदारनी राज कौर ने
दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया था। जज की दावेदार रहीं। निक्की का ननिहाल कटड़ा दल
सिंह, अमृतसर में हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ में राजदूत और दक्षिण कैरोलिना की गवर्नर रहीं। निक्की
अमेरिका में ही 1972 में जन्मीं थीं। तरन तारन से अमेरिका आकर उनके माता-पिता बस गए थे।
निक्की परिवार की कंपनियां चलाने के बाद 1998 में ओरेंजबर्ग काउंटी चेंबर आफ कामर्स के
निदेशक मंडल में शामिल हुईं तथा 2004 में नेशनल एसोसिएशन आफ वुमेन बिजनेस आनर की
अध्यक्ष बनीं। फिर राजनीति में आईं।
अमेरिका में सबसे युवा (37 साल) गवर्नर बनने का रिकार्ड भी उनके नाम है। चुनाव लड़ने की घोषणा
करते हुए निक्की ने कहा: ‘मैं इंडियन-अमेरिकन बेटी हूं। न श्वेत, न अश्वेत बल्कि बादामी वर्ण की।
यह वक्त नेतृत्व की नई पीढ़ी का है। चीन और रूस मौके की तलाश में हैं। वे सोचते हैं कि हमें
धमकाया जा सकता है लेकिन यह उनका भ्रम है।’ वैचारिक रूप से निक्की श्रमिकों की पक्षधर हैं पर
वामपंथी सोशलिस्टों को अमेरिका के लिए घातक समझती हैं। निक्की की मां राज कौर ने बेटी को
बताया था कि विषमता नहीं, सादृृश्य पनपाओ।
निक्की और कमला में कुछ समानताएं हैं। निक्की भारतीय माता-पिता की पहली पीढ़ी की अमेरिकी
नागरिक हैं। कमला की मां श्यामला तमिलभाषी थीं। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका से आये
अश्वेत थे। रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाते हुए वे पार्टी में शीर्ष तक पहुंची हैं। अपनी-अपनी पार्टी
के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बोलती रही हैं। वे ट्रम्प की नीतियों की विरोधी हैं। कमला भी पहले
बाइडेन का खुलेआम विरोध करती रही थीं। दोनों ने ही अपने धर्म बदले। चर्च जाती हैं।
निक्की 2004 तक पंजाबी पढ़ना-लिखना नहीं जानती थी। उसके बाद उन्होंने अपने पिता की मदद से थोड़ी
बहुत पंजाबी सीखीं। कमला अभी भी चेन्नई जाती हैं तथा तमिल बोलती हैं। निक्की ने बच्चों के
नाम भारतीय पहचान वाले रेना और नलिन ही रखे हैं। उनके पति यूएस आर्मी में आफिसर हैं और
2013 में अफगानिस्तान में भी तैनात थे। वे अनाथालय में पोषित हुये थे।
राजनीति में धमाकेदार शुरुआत कर, 2004 में साउथ कैरोलाइना राज्य में सबसे लंबे समय तक
एसेंबली मेंबर रही लैरी को हराकर वे गवर्नर बनीं। निक्की अपनी ही रिपब्लिकन पार्टी की कई
नीतियों की विरोधी रही हैं। वे सरकारी फिजूलखर्ची के सख्त खिलाफ रहीं हैं। उन्होंने दशकों से
पाकिस्तान को हर साल मिलने वाले अरबों डालर पर भी रोक लगवा दी थी।
उन्होंने ईसाई धर्म तो अपना लिया मगर माइकल से उनकी शादी सिख रीतिरिवाज से ही हुई। फिर सेंट एंड्रयू मेथोडिस्ट
चर्च में ईसाई तौर तरीकों से भी। वे अक्सर भारत आती रही हैं। अब भी पिता और मां पक्ष के बहुत
से रिश्तेदार पंजाब में रहते हैं। वर्ष 2014 साउथ कैरोलिना की गर्वनर रहते हुए वह अमृतसर आईं
थीं। तब वह स्वर्ण मंदिर गईं। वहां अरदास पढ़ी। काफी देर वहां सत्संग में हिस्सा लिया।
फिर जलियांवाला बाग में जाकर शहीदों को नमन किया। वह पति के साथ आईं थीं। उनके पिता पगड़ी
पहनते थे और मां साड़ी।
रिपब्लिकन पार्टी की ओर से 2024 राष्ट्रपति चुनाव के लिए अन्य हाईप्रोफाइल दावेदार मे फ्लोरिडा के
गवर्नर रान डीसांटिस, पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस, दक्षिण कैरोलिना के अमेरिकी सीनेटर टिम स्काट,
न्यू हैम्पशायर के गवर्नर क्रिस सुनुनू और अरकंसास के पूर्व गवर्नर आसा हचिंसन शामिल हैं मगर
हेली के मैदान में आने से ट्रंप को अब अपनी ही पार्टी में बड़ी चुनौती को पहले पार करना होगा।
समर्थन जुटाने के बाद ही वह रिपब्लिकन के उम्मीदवार बन पाएंगे। हेली ने कहा था कि बाइडन
दूसरे कार्यकाल के हकदार नहीं हैं।
रिपब्लिकन को सरकार में वापस लाने की जरूरत है उन लोगों
की जो लीडरशिप कर सकते हैं और चुनाव जीत सकते हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव पांच नवंबर,
2024 को होने जा रहा है। निक्की महसूस करती हैं कि वह देश को नई दिशा में ले जाने वाले नेता
के तौर पर सामने आ सकती हैं। फिलहाल कोई भी भारतवंशी यदि अमरीकी राष्ट्रपति बने तो हर
भारतीय गर्वान्वित होगा। (अदिति)