गाजियाबाद। जिले में दो साल में अदालतों में मुकदमों का बोझ बढ़कर दो गुना हो गया है। इस समय अदालतों में 4,09,316 मामले विचााराधीन हैं। जबकि, 2022 में 2.41 लाख केस लंबित थे। लगातार कई अदालतों का रिक्त रहना और आए दिन कचहरी में हो रही हड़ताल इसका प्रमुख कारण है। वर्तमान में एक महीने में तीन से चार हजार मुकदमे दाखिल हो चुके हैं जबकि, निस्तारण एक से डेढ़ हजार तक का ही हो पा रहा है।
एनजेडीजी(नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड) के आंकड़ों के अनुसार इस समय 4,09,316 मामले गाजियाबाद की अलग-अलग अदालतों में विचाराधीन हैं, जबकि दो साल पहले इनकी संख्या 2,41,080 थी। हालांकि पिछले एक महीने में 60 फीसदी मुकदमों का निस्तारण हुआ है। इन केसों में जमानत अर्जी पर सुनवाई और उनका निस्तारण भी शामिल है। आंकड़ों पर गौर करें तो एक साल के 2,13,173 केस विचाराधीन हैं। इनमें से 6,638 केसों का निस्तारण हुआ।
बार अध्यक्ष दीपक शर्मा का कहना है कि अदालतों के रिक्त रहने से मुकदमों के निस्तारण में समय लग रहा है। जल्द निस्तारण के लिए जरूरी है कि खाली सभी अदालतें भरी जाएं। बार एसोसिएशन की तरफ से हाईकोर्ट को पत्र लिखकर न्यायाधीशों की नियुक्ति की मांग की जाएगी।