वाराणसी। सभी महिलाओं में गर्भकालीन मधुमेह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन लक्षण ऐसे जरूर होते हैं जिनके दिखते ही उन्हें इस दिशा में सतर्क हो जाना चाहिए। किसी गर्भवती को बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक प्यास लगना, थकान, जी मिचलाना, धुंधला दिखना, मूत्राशय और त्वचा का संक्रमण जैसी परेशानियां जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं। लिहाजा ऐसे लक्षण नजर आते ही गर्भवती को तत्काल किसी चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए, ताकि समय रहते उपचार से इस बीमारी के बड़े खतरे से बचा जा सकता है। यह जानकारी गुरुवार को पंडित दीनदयाल चिकित्सालय स्थित एमसीएच विंग की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ आरती दिव्या ने दी।
डॉ दिव्या ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज का होना मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक होता है। इसके कारण बच्चे में जन्मगत विकार की आशंका अधिक रहती है। साथ ही प्रसव के समय मां के साथ-साथ शिशु के जान को भी खतरा रहता है। डॉ आरती बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर अधिक बढ़ा होने पर गर्भवती को हाई ब्लड प्रेशर का भी खतरा हो सकता है। इतना ही नहीं गर्भपात अथवा समय से पूर्व प्रसव की भी आशंका बढ़ जाती है।
डॉ आरती बताती हैं कि आमतौर पर जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भावस्था के बाद अपने आप ठीक हो जाती हैं लेकिन कुछ मामलों में गर्भवती को प्रसव के बाद आगे चलकर डायबिटीज होने का खतरा बन जा जाता है। इतना ही नहीं समय से उपचार न होने पर यह बीमारी होने वाले शिशु के लिए भी खतरनाक हो सकती है उसे भी भविष्य में डायबिटीज होने की आशंका रहती है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई हार्मोनल असंतुलन के दौर से गुजरना पड़ता है। ऐसे ही हार्मोनल असंतुलन से ही कुछ ऐसी गर्भवतियों में ब्लड शुगर काफी बढ़ जाता है, जिन्हें गर्भधारण करने से पहले शुगर नहीं होती है। गर्भधारण के बाद होने वाली शुगर को ही गर्भकालीन मधुमेह या जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। अधिकांश को गर्भावस्था के 24-28 सप्ताह के बीच चलता है। आजकल ओपीडी में हर माह दो-तीन जेस्टेशनल डायबिटीज के मामले आते हैं।
डॉ आरती के अनुसार पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय स्थित एमसीएच विंग के अलावा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जेस्टेशनल डायबिटीज से सम्बन्धित जांच व उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
क्या कहती है पीड़ित
रमाकांत नगर कॉलोनी की रागिनी पहली बार मां बनने वाली है। गर्भावस्था के छठे माह में उसे अत्यधिक प्यास लगने और बार-बार पेशाब होने की शिकायत हुई। शुरू में रागिनी से इसे सामान्य रूप में लिया पर इस समस्या के कारण जब उसे पूरी रात जगना पड़ने लगा तो वह चिकित्सक के पास पहुंची। उसका हाल जानने के बाद जब चिकित्सक ने उसके खून की जांच करायी तो पता चला कि उसे भी जेस्टेशनल डायबिटीज हो चुका है। रागिनी बताती हैं कि पहले माह में अपने खून की जांच करायी थी तब उनकी रिपोर्ट ठीक आई थी। हालांकि रिपोर्ट में शुगर होने का जिक्र नहीं था लेकिन शुगर ने उन्हें कब जकड़ लिया पता ही नहीं चला।