प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस लोकसभा चुनाव में कम से कम 370 सीटें जीतेगी और एनडीए गठबंधन 400 का आंकड़ा पार करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने एक तरह से नया नारा भी दे दिया- ‘अबकी बार, 400 पार।Ó प्रधानमंत्री ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैं आमतौर पर आंकड़ों के चक्कर में नहीं पड़ता लेकिन देश का जो मिजाज देख रहा हूं।
उससे मुझे विश्वास है कि इस बार देशवासी भाजपा को 370 सीटें जरूर देंगे। यही नहीं एनडीए का आंकड़ा 400 के पार रहेगा। पर सवाल यह उठता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा यह का सपना कैसे साकार होगा? प्रधानमंत्री मोदी के टारगेट को हासिल करने के लिए भाजपा को 2019 की तुलना में इस बार 67 सीटें ज्यादा जीतनी होंगी। एनडीए को भी अपना आंकड़ा पिछली बार के मुकाबले बढ़ाना होगा। ऐसे में हम बतातें है कि आखिर एनडीए के 400 पार का गुणा-गणित क्या है, भाजपा और उसके गठबंधन के सहयोगी दलों को किन राज्यों में फायदा तो कहां सियासी नुकसान की संभावना है?
उत्तर भारत के हिंदी भाषी राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 193 सीटें हैं। इन राज्यों में फिलहाल 177 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा के लिए चुनौती है कि इन राज्यों में अपनी सीट न सिर्फ बरकरार रखे बल्कि इसकी संख्या में इजाफा भी करे। उत्तर भारत के इन 11 राज्यों में भाजपा की सीटों की बहुत ज्यादा बढऩे की गुंजाइश नहीं दिख रही है।
महाराष्ट्र, बंगाल, असम, गुजरात और कर्नाटक में 2019 चुनाव वाले प्रदर्शन को 2024 के चुनाव में दोहराना होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा को 18, महाराष्ट्र में 23, कर्नाटक में 25 और गुजरात की सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2024 चुनाव में भाजपा के लिए फायदे की उम्मीद दक्षिण भारत के राज्यों में हो सकती है। दक्षिण में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के अलावा पुडुचेरी और लक्षद्वीप की 131 सीटों में से भाजपा 2019 में महज 30 सीटें ही जीत सकी थी। इसलिए दक्षिण भारत के इन राज्यों में भाजपा के पास खोने के लिए कुछ नहीं है बल्कि इजाफा करने की है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर भाजपा 2014 और 2019 की चुनावी जंग फतह करने के बाद अब 2024 उतरने जा रही है। कश्मीर से बिहार तक उत्तर भारत के इन राज्यों में 245 सीटें आती हैं जिनमें पंजाब छोड़कर बाकी राज्य में भाजपा बेहतर स्थिति में है। इसके बावजूद उत्तर भारत के राज्यों की सभी सीटें यानि 245 सीटें पर जीतना आसान नहीं लेकिन 2019 की तुलना में उसकी सीटें बढ़ सकती है।
400 का आंकड़ा पार करने के लिए एनडीए को केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में अपनी सीटें बढ़ानी होंगी क्योंकि इन्हीं राज्यों में भाजपा के पास जीतने का मौका दिख रहा। गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान की अधिकतम सीटें भाजपा के पास पहले से हैं। बिहार में जेडीयू को फिर से साथ ले लिया है, जिसके बाद 2019 की तरह क्लीन स्वीप हो सकता है। ऐसे में भाजपा के पास जिन राज्यों में सीटें बढ़ाने का मौका है, उसी आधार पर 400 पार का आंकड़ा हासिल हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा गठबंधन ने 2019 में 80 लोकसभा सीट में से 64 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और 16 सीटों पर हार मिली थी। 2024 में सपा और बसपा के उत्तर प्रदेश में अलग-अलग चुनाव लडऩे का फायदा भाजपा को मिल सकता है। 2014 में इसी तरह की स्थिति थी, तब भाजपा ने 71 सीटें जीती थीं और 2 सीटें उसके सहयोगी को मिली थीं। फिर से वैसे ही नतीजे की उम्मीद भाजपा ने लगा रखी है और अपना कुनबा भी बढ़ा लिया है। हाल ही में बताया जाता है कि जयंत चौधरी की आरएलडी पार्टी भी इडिया गठबंधन का साथ छोड़ कर एनडीए से जुडऩे जा रही है । इस तरह भाजपा को उत्तर प्रदेश से 8 से 10 सीटों का इजाफा हो सकता है।
छत्तीसगढ़ की 11 में से 9 सीटें भाजपा 2019 में जीती थी लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जिस तरह प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है, उसके चलते माना जा रहा है कि क्लीन स्वीप कर सकती है। ऐसे में भाजपा को दो सीटों का इजाफा हो सकता है। पंजाब में दो सीटें भाजपा के पास हैं लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लडऩे की तैयारी में है। सूबे के दिग्गज नेताओं को भाजपा ने अपने साथ मिलाया है, उससे लगता है कि पार्टी की सीटें इस बार बढ़ सकती हैं। भाजपा पहली बार पंजाब में अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी और सभी सीट पर चुनाव लड़ेगी। पंजाब की 13 सीटों में से भाजपा ने 4 से पांच सीटें जीतने का प्लान बनाया है।
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में भाजपा 11 सीट पर काबिज है और 2024 में उसे बढ़ाने की कवायद में है। माना जा रहा है कि भाजपा अपनी सीटें 11 से बढ़ाकर 12 और 13 तक ले जा सकती है। महाराष्ट्र में सियासी बदलाव के बाद भाजपा को अपनी सीटें बढऩे की उम्मीद है। महाराष्ट्र में भाजपा एनसीपी (अजित पवार गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ मिलकर चुनाव में उतरेगी। एनसीपी (अजित पवार गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) को चुनाव आयोग द्वारा असल एनसीपी व असल शिवसेना का दर्जा भी मिल चुका है । 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में भाजपा को सहयोगियों के साथ सीटें शेयर करनी होंगी, जिसमें पिछली बार से ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ेगी। गोवा में दो लोकसभा सीटें हैं जिनमें से भाजपा के पास एक सीट है जो बढ़कर दो हो सकती हैं।
एनडीए के 400 पार के आंकड़ा पार करने के लिए दक्षिण के तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में जीत दर्ज करनी होगी। इन राज्यों में कुल 104 लोकसभा सीटें हैं जिनमें से भाजपा के पास सिर्फ चार सीट हैं जो तेलंगाना में मिली थीं। कर्नाटक में भाजपा ने जेडीएस से गठबंधन करके राज्य की 29 सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए पहले से ही तैयारी कर रखी है तो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा ने एक बार फिर टीडीपी और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के साथ गठबंधन कर रखा है। आंध्र प्रदेश में खाता खोलने की चुनौती है पर कहा जाता है कि आंध्र प्रदेश की प्रमुख पार्टियां (वाईएसआरसीपी, टीडीपी और जन सेना पार्टी) जो वहां पर हावी हैं, राज्य की राजनीति से संबंधित मुद्दों के कारण भी भाजपा का साथ देने के लिए उत्सुक हैं तो तेलंगाना में भाजपा को अपनी 4 सीट को बढ़ाकर 8 करनी होंगी।
केरल और तमिलनाडु में भाजपा लगातार मशक्कत कर रही है। लोकसभा चुनाव से पहले एक्टर थलापति विजय ने तमिलनाडु में राजनीतिक पार्टी लॉन्च की है जिसका नाम तमिझगा वेत्री कडग़म रखा है। भाजपा की नजर दक्षिण के फिल्मी स्टार पर है जिसके जरिए मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरने की है। केरल में पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने एक्टर-राजनेता सुरेश गोपी की बेटी की शादी में शिरकत की थी और वर-वधू को आशीर्वाद दिया था। सुरेश गोपी को भाजपा केरल से चुनावी मैदान में उतार सकती है। इस तरह भाजपा दक्षिण के राज्यों में 8-8 और 10-10 सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है तो फिर लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगी।
भाजपा के आगे चुनौती पूर्वोत्तर के साथ-साथ ओडिशा और बंगाल में भी अपने चुनावी नतीजों को बरकरार रखने की नहीं बल्कि उसे बढ़ाने की है। भाजपा 2019 में ओडिशा की 21 में से 8 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन इस बार पार्टी की कोशिश उसे बढ़ाकर 12 तक ले जाने की है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में अपने दौरे भी ओडिशा से शुरू कर दिए हैं। पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से भाजपा 2019 में 18 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में 40।30 फ़ीसदी वोट मिले थे अब मोदी लहर में यह प्रतिशत बढ़ सकता है और प्रतिशन बढऩे का मतलब है सीटों में इजाफा।
पूर्वोत्तर राज्य में भी भाजपा के लिए विस्तार की अपार संभावनाएं हैं लेकिन नवीन पटनायक और ममता बनर्जी की छवि के सामने ज्यादा उम्मीद करना आसान नहीं है। 400 पार के सपने पूरे करने के लिए भाजपा को बंगाल और ओडिशा में अपनी सीटों को इजाफा करना होगा। पूर्वोत्तर के राज्यों की कुल 25 लोकसभा सीटों में से अभी तक भाजपा 11 पर काबिज है, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों के चलते सिर्फ असम में ही बढऩे की उसकी उम्मीद है।
असम में कुल 14 लोकसभा सीटें हैं जिनमें से भाजपा के पास 9 सीटें हैं जहां तीन से चार सीटें बढ़ सकती हैं। भाजपा की कोशिश असम में अपनी 9 सीटों को बढ़ाकर 12 तक ले जाना होगा। अरुणाचल से लेकर मेघालय और त्रिपुरा सहित पूर्वोत्तर की सभी 25 सीटों को भाजपा गठबंधन अपने पास रखने की जुगत में है।
भाजपा की कोशिश 2024 के चुनाव में अपने वोट फीसदी को बढ़ाने की है। 2019 में भाजपा को 37 फीसदी वोट मिले थे, जिसके चलते 303 सीटें उसे मिली थीं। भाजपा 2024 के चुनाव में अपने वोट परसेंट को बढ़ाकर 47 फीसदी तक ले जाने में सफल हो जाती है तो फिर उसका आंकड़ा 370 सीट तक पहुंच सकता और एनडीए 400 पार हो सकती है लेकिन उसके लिए उत्तर भारत में अपनी सीटों को बरकरार रखते हुए दक्षिण के राज्यों में अपनी सीटों का इजाफा करना होगा। दक्षिण भारत की 131 सीटों में से भाजपा अगर 60 से 70 सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है तभी जाकर प्रधानमंत्री मोदी के 400 पार का सपना साकार हो सकता है?
-अशोक भाटिया