देवबंद (सहारनपुर) – विख्यात श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी शक्तिपीठ की धरती देवबंद नगर में ऐसे श्रीकृष्ण जो सिर्फ कर्म करने की प्रेरणा देते है और विश्व के सबसे आध्यात्मिक और दार्शिनिक ग्रंथ गीता में कौन्तेय (अर्जुन) उठो और दृढ निश्चय कर युद्ध कर का उद्घोष करने वाले श्रीकृष्ण की आकर्षक एवं भव्य शोभायात्रा रविवार तड़के चार बजे मंदिर श्रीठाकुरद्वारा पर सकुशल संपन्न हुई। जन्माष्टमी पर्व के दो दिन बाद निकलने वाली भारत में यह अकेली शोभायात्रा है जो 18 से 19 घंटे तक निकलती है और हजारों श्रद्धालुओं को आहलादित तथा आनंदित करती है।
शनिवार सुबह नौ-दस बजे पूजा-अर्चना के बाद छिम्पीवाडा स्थित रथशाला से स्वर्ण रथ और लड्डू-गोपाल रथ बैंडबाजो और भजन मंडली के साथ श्रीकृष्ण के जयकारों के साथ मेन बाजार स्थित मंदिर श्री ठाकुरद्वारा पहुंचे। जहां कुछ घंटो के विश्राम के बाद शाम करीब चार बजे स्वर्ण रथ पर भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा के चिग्रह विराजमान हुए वहां से ये दोनो रथ अनाजमंडी होते हुए एमबीडी चैके पर पहुंचे।
नौ-दस मनोरम झांकियां और चार बैंड शोभायात्रा में शामिल हो गए। चार -पांच किलोमीटर मार्ग तय करने और 18-19 घंटे की शोभायात्रा का करीब 200 स्थानों पर श्रद्धालुओं, सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भाव पूर्ण स्वागत किया। ठाकुरद्वारा मंदिर और राधाबल्लभ मंदिर पर विशेष पूजा-अर्चना हुई। आयोजकों के प्रबंधन के साथ-साथ पुलिस-प्रशासन की निगरानी के बीच जूलूस एवं सभी संवेदनशील स्थानों पर पर्याप्त संख्या में सशस्त्र पुलिसकर्मी, पीएसी और सुरक्षाकर्मी मुस्तैदी से तैनात रहे।
अखाडों और झांकियों ने लोगों को खूब आहलादित और आनंदित किया। रात्रि में और कभी हल्की तो कभी तेज बूदां-बांदी के बीच बिजली की भव्य और रंग-बिरंगी लाइटों से नहाए शोभायात्रा मार्ग की छठा देखते ही बनती थी। आयोजन समिति के अध्यक्ष विनोद प्रकाश गुप्ता और कोषाध्यक्ष अशोक गुप्ता ने बताया कि इस बार लोगों के जोश का अनुमान इस बात से लग जाता है कि दान और चंदे की राशि 11-12 लाख रूपए के करीब रही जो पिछले वर्षों से कही ज्यादा है। दर्शक आसपास के गांवों रणखंडी, भायला, जडौदाजट्ट सैनपुर, मिरगपुर के साथ-साथ सहारनपुर और मुजफ्फरनगर से भी पहुंचे। व्यापारी संगठनों ने झांकियों को पुरस्कृत किया और कलाकारों का उत्साह बढाया।