गाजियाबाद। डॉक्टर साहब खून की जांच करा दो, बीमारी का पता चल जाएगा। यह सलाह मरीज अब डॉक्टरों को दे रहे हैं, जबकि कोरोना संक्रमण से पहले डॉक्टर मरीजों को खून और अन्य जांच कराने की सलाह देते थे। निजी और सरकारी पैथोलॉजी के आंकड़ों पर गौर करें तो तीन वर्ष में जांच कराने वालों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है।
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डॉक्टरों का भी कहना है कि जांच करा लेने से कई बार ऐसी बीमारी का पता चल जाता है जिसका कोई लक्षण नहीं होता है। एमएमजी अस्पताल में इस समय रोजाना 3500 से 3700 नमूनों की जांच हो रही है। इनमें बड़ी संख्या हार्माेंन से संबंधित जांच शामिल होती है। सीएमएस डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2022 में 7,78,595 नमूनों की जांच की गई, जबकि यह संख्या वर्ष 2019 में 2,59,531 थी।
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सीएमएस ने बताया कि 2023 में 7,99,913 नमूनों की जांच की गई थी। इस वर्ष भी लगभग 8.50 लाख नमूनों की जांच हो चुकी है।
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एमएमजी अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट डॉ. मुकेश कुमार का कहना है कि हार्माेंन और सामान्य जांच के अलावा सबसे ज्यादा पेट और पैंक्रियाज संबंधित जांच बढ़ी हैं। दूसरे नंबर पर हृदय रोगों से संबंधित और तीसरे पर लिवर और गुर्दे की जांच शामिल। डॉ. मुकेश ने बताया कि कई तरह के संक्रमण भी बढ़े हैं। इसमें बाहरी दूषित खानपान के साथ नशे संबंधी चीजों का सेवन है। इनका पता लगाने के लिए रक्त के साथ पेशाब की जांचें भी ज्यादा कराई जा रही हैं। सामान्य जांच में मधुमेह, थायराइड, हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स की जांच बढ़ी है।