नई दिल्ली। भारतीय रेलवे बिजली संकट को टालने के लिए और रेक की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए कोयला परिवहन को प्राथमिकता दे रहा है। रेलवे के अनुसार फरवरी 23 में 426.3 रेक प्रतिदिन बिजली घरों के लिए लोड किया गया जबकि फरवरी 22 में 399 रेक प्रतिदिन लोड किया गया था।
टनेज और एनटीकेएम के संदर्भ में भारतीय रेलवे द्वारा कोयले की ढुलाई चालू वित्त वर्ष (फरवरी तक) में 11.92 फीसदी और 24.51 प्रतिशत बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-फरवरी) में विभिन्न स्रोतों से बिजली क्षेत्र के लिए रेकों का लदान पिछले वर्ष के 344 रेक प्रतिदिन की तुलना में 408 रेक प्रति दिन है, यानी 64 रेक प्रति दिन की वृद्धि। इस साल फरवरी में विद्युत गृहों के लिए प्रतिदिन 426.3 रेक लोड किया गया जबकि फरवरी 22 में प्रतिदिन 399 रेक अर्थात 27.3 रेक की वृद्धि हुई है।
आगामी वित्त वर्ष में विद्युत क्षेत्र द्वारा रेकों की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। अप्रैल-22 से जनवरी-23 के दौरान कोयला ले जाने वाले वैगनों का उच्च प्रवेश – 7692 बीओएक्सएनएचएल और 1052 बीओबीआरएन वैगनों को शामिल किया गया है। लगभग 32,534 बीओएक्सएनएचएल और 2450 बीओबीआरएन वैगन मांगपत्र लंबित हैं।
इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान, फरवरी-23 के अंत तक भारतीय रेल के बेड़े में 1018 माल इंजन जोड़े गए हैं। यह बढ़ोतरी जारी रहने की उम्मीद है।
साल 2022-23 में 4500 किलोमीटर नए ट्रैक चालू होने की उम्मीद है, जिनमें से अधिकांश कोयला ले जाने वाले मार्गों पर हैं। इससे कोयला ले जाने वाले रेक के टर्नअराउंड में और सुधार होगा।
वहीं अगले कुछ वर्षों में बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए, लगभग 100 से अधिक परियोजनाओं में एक लाख करोड़ रुपये के नियोजित निवेश के साथ एनर्जी कॉरिडोर की व्यापक योजना बनाई गई है।
गौरतलब है कि पिछले साल गर्मी में देश में कोयला संकट की वजह से लगभग 5 महीने में रेलवे ने 9,000 से अधिक ट्रेनों को कैंसिल किया था। रेलवे के इस कदम से गर्मी महीने के दौरान यात्रियों को काफी परेशानी का समाना करना पड़ा।