Sunday, February 2, 2025

आज रालोद का दामन छोड़ चंद्रशेखर की पार्टी में शामिल होंगे पूर्व सांसद अमीर आलम और उनके बेटे नवाजिश आलम

शामली। पूर्व सांसद अमीर आलम का परिवार चार दशक से सियासत में सक्रिय है। पूर्व विधायक नवाजिश आलम ने साल 2017 में बसपा से मीरापुर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार मिली। पिता-पुत्र 2018 में रालोद में शामिल हो गए थे।

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पश्चिम यूपी में साल 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए उठापटक का सिलसिला शुरू हो गया है। पिछले आठ साल से रालोद का हिस्सा रहे पूर्व सांसद अमीर आलम खान और उनके बेटे पूर्व विधायक नवाजिश आलम खान आसपा में शामिल होंगे। दो फरवरी को शामली के गढ़ीपुख्ता में जनसभा में सदस्यता ग्रहण करेंगे।

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मूल रूप से गढ़ीपुख्ता के रहने वाले पूर्व सांसद अमीर आलम का परिवार पिछले चार दशक से सियासत में सक्रिय है। पूर्व विधायक नवाजिश आलम ने साल 2017 में बसपा के टिकट पर मीरापुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार मिली। पिता-पुत्र ने 2018 में रालोद का दामन थाम लिया।
साल 2019 के लोकसभा, 2022 के विधानसभा और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर और शामली की अलग-अलग सीटों से टिकट के लिए दावा भी किया, लेकिन रालोद ने चुनाव नहीं लड़ाया। पूर्व सांसद ने कई बार सार्वजनिक तौर पर टिकट नहीं दिए जाने पर नाराजगी भी जताई।

 

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मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव में भी पूर्व विधायक को टिकट दिए जाने का दावा किया, लेकिन एन वक्त पर भाजपा की मिथलेश पाल को रालोद का टिकट मिला और जीत हासिल हुई। आलम परिवार मीरापुर के चुनाव प्रचार में भी नजर नहीं आया था।

नवाजिश आलम ने इस तरह लड़े चुनाव
पूर्व विधायक नवाजिश आलम खान ने परिसीमन के बाद पहला चुनाव सपा के टिकट पर बुढ़ाना से लड़ा और जीत दर्ज की। साल 2017 में बसपा के टिकट पर मीरापुर से मैदान में उतरे, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई। 2022 में रालोद से टिकट नहीं मिला।

 

 

कैराना में हरा दिए थे निरंजन सिंह मलिक
पूर्व सांसद अमीर आलम खान वर्ष 1985 में थानाभवन से विधायक चुने गए थे। जनता दल के टिकट पर 1989 में मोरना और 1996 में थानाभवन से तीसरी बार विधायक बने। कैराना लोकसभा सीट से 1999 में भाजपा नेता और उपथल सेना अध्यक्ष निरंजन सिंह मलिक को हराकर चुनाव जीता था। एक बार वह राज्यसभा सदस्य भी रहे।

लड़ाना चाहिए था चुनाव : खान
पूर्व विधायक नवाजिश आलम खान ने कहा कि लगातार आठ साल रालोद में रहे। टिकट का दावा किया, लेकिन बात नहीं बनी। अगर मुझे चुनाव नहीं लड़ाया जा सकता था तो लोकसभा का चुनाव पिता को लड़ाया जाना चाहिए था।

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