इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पीड़िता के कपड़े फाड़ना और उसके निजी अंगों को छूना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के तहत बलात्कार या धारा 511 के तहत बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक आरोपी की सजा को निरस्त करते हुए की, जिसे निचली अदालत ने बलात्कार के प्रयास के आरोप में दोषी ठहराया था।
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आरोपी पर आरोप था कि उसने पीड़िता के कपड़े फाड़े और उसके निजी अंगों को छुआ। निचली अदालत ने इसे बलात्कार के प्रयास के रूप में मानते हुए आरोपी को दोषी ठहराया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस प्रकार की हरकतें IPC की धारा 375 के तहत बलात्कार या धारा 511 के तहत बलात्कार के प्रयास के रूप में परिभाषित नहीं की जा सकतीं।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि आरोपी की हरकतें गंभीर हैं और उन्हें अन्य संबंधित धाराओं के तहत दंडित किया जाना चाहिए, लेकिन इन्हें बलात्कार या उसके प्रयास के रूप में नहीं माना जा सकता।
इस फैसले के बाद महिला अधिकार संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों के बीच बहस छिड़ गई है। कई लोगों का मानना है कि इस प्रकार के फैसले यौन उत्पीड़न के मामलों में न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं और पीड़िताओं के लिए न्याय पाना और कठिन बना सकते हैं।