Friday, November 22, 2024

मुज़फ्फरनगर में व्यापारियों ने मंत्री संजीव बालियान को सौंपा ज्ञापन, गिनाई अपनी समस्याएं !

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल पिछले कई वर्षों से व्यापार जगत की उन्नति व देश की अर्थव्यवस्था के लिए व्यापार में आ रही कठिनाइयों को वित्त मंत्री के समक्ष बजट पूर्व उठाता आ रहा है, लेकिन इसमें अभी भी कुछ कठिनाईया शेष है। इसी कड़ी में आज उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक  अशोक कंसल के नेतृत्व में एक ज्ञापन केंद्रीय मंत्री एवं सांसद संजीव बालियान को दिया गया, जो कि बजट से पूर्व उनके द्वारा वित्त मंत्री को दिया जाएगा।

व्यापारी नेताओं ने मांग की कि बढ़ती महंगाई के दौर में आयकर की छूट को बढाकर 10 लाख किया जाना आवश्यक है। जीएसटी में जब क्रेता जीएसटी के रजिस्टर्ड व्यापारी से माल खरीदता है, क्रेता की जिम्मेदारी विक्रेता के रिटर्न भरने की या टैक्स भरने की नहीं होनी चाहिए। विक्रेता द्वारा देरी से रिटर्न भरने पर या ना भरने पर क्रेता व्यापारी का उत्पीडऩ समाप्त किया जाए। जीएसटी का सरलीकरण किया जाए, एकल बिंदु जीएसटी लागू किया जाए।

बढ़ती महंगाई के दौर में नगद लेनदेन की पुरानी 10 हज़ार रुपए की सीमा को 50 हज़ार रुपए किया जाए। एनुअल इन्वेस्टमेंट रिटर्न सूचना जिस सरकारी विभाग को भी देनी है। यह सुनिश्चित किया जाए, वह सही सूचना दे ऐसे में गलत सूचना देने पर उस विभाग की भी जवाब देही होनी चाहिए, ताकि गलत सूचना देने पर उसे दंडित किया जा सके।

बैंक मुद्रा लोन आसानी से नहीं दे रहे हैं, इसमें बहुत सी व्यवहारिक कठिनाइयां है, बैंक लोन देने में तरह-तरह की आपत्ति लगाते हैं और मुद्रा लोन लेने में समय भी बहुत लगता है, उसका सरलीकरण होना चाहिए। राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा संपूर्ण धनराशि की पूरी गारंटी हो या प्राइवेट बैंक मैं जमा धनराशि की गारंटी 15 लख रुपए हो। राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा राशि की सीमित गारंटी का कोई अर्थ नहीं है।

रियल एस्टेट को बढ़ावा देने के लिए कैपिटल गेन की दरें कम हो, ताकि भू संपत्तियों का अधिक से अधिक लेनदेन हो सके, जिससे अधिक लेनदेन होने के कारण सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त हो सके। टैक्स दरें बढऩे से भ्रष्टाचार एवं महंगाई बढऩे की संभावनाएं बनी रहती हैं। कपड़ों पर, फुटवियर पर और ईंटों पर बढ़ाई गई जीएसटी दरों को संपूर्ण रूप से वापस लिया जाए।

इनकम टैक्स के अनुसार व्यापारी को अपने खाते 3 साल तक रखने होते हैं, लेकिन जीएसटी में यह अवधि 5 वर्ष है। इनकम टैक्स के अनुसार ही जीएसटी में भी खाता रखने की अवधि 3 वर्ष हो, जीएसटी नोटिस देने की समय अवधि घटाकर एक वर्ष की जाए। ज्ञापन देने के लिए मुख्य रूप से श्याम सिंह सैनी, अजय सिंघल, दिनेश बंसल, रामपाल सेन, हिमांशु कौशिक, पंकज शर्मा, सुमित खेड़ा एवं अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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