Thursday, November 21, 2024

राष्ट्रीय पार्टी का तमगा खोने के बाद चिंता में है तृणमूल, लेने जा रही कानूनी सलाह

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय पार्टी की सूची से हटा दिया है। इसके साथ ही वाम मोर्चा में शामिल सीपीआई और शरद पवार की पार्टी एनसीपी को भी राष्ट्रीय पार्टी की सूची से हटाया गया है। इधर चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने कानूनी सलाह लेना शुरू कर दिया है। हालांकि चुनाव आयोग के इस फैसले पर तृणमूल कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है। पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल इस मामले में मैं कोई भी टिप्पणी नहीं करूंगा। पार्टी की ओर से इस बारे में सभी पहलुओं को देखा जा रहा है, उसके बाद ही आधिकारिक बयान दिया जाएगा।

पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस संबंध में कानूनी सलाह ली जा रही है। आवश्यकता पड़ने पर इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि 2016 में ही तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था क्योंकि तब पश्चिम बंगाल के साथ में त्रिपुरा, अरुणाचल और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस को छह फ़ीसदी वोट मिले थे।

नियम है कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए तीन में से कोई एक शर्त पूरी करनी पड़ती है। एक- कम से कम 4 राज्यों में छह फ़ीसदी वोट हासिल करना पड़ता है। दूसरा- लोकसभा चुनाव के समय कम से कम तीन राज्यों में कुल लोकसभा सीटों का दो फीसदी यानी 11 सीटों पर जीत दर्ज करनी पड़ती है। तीसरी- इनमें से कम से कम चार सीटों पर दोबारा जीत दर्ज करनी होगी। दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने राजधानी के अलावा पंजाब, गोवा और गुजरात में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में छह फ़ीसदी वोट हासिल किए थे जिसकी वजह से उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है।

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने से कई सारी सुविधाएं भी मिलती हैं। जो राष्ट्रीय पार्टियां हैं उन्हें पार्टी दफ्तर बनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से जमीन या आवास उपलब्ध कराया जाता है। दूसरी, चुनाव के समय 40 स्टार प्रचारक पार्टी के लिए प्रचार कर सकते हैं। जबकि क्षेत्रीय दलों के लिए केवल 20 प्रचारको को अनुमति रहती है। इसके अलावा क्षेत्रीय दलों का चुनाव चिह्न दूसरे राज्यों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि राष्ट्रीय दलों के मामले में चुनाव चिह्न संरक्षित होता है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय