बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली में बारावफात (ईद मिलाद-उल-नबी) के जुलूस के रूट को लेकर विवाद बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप दो समुदाय आमने-सामने आ गए। जुलूस के दौरान हिंदू समुदाय के कुछ लोग रास्ते को रोकने के लिए सड़क पर बैठ गए और नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे जुलूस का विरोध हुआ। इस घटनाक्रम से तनाव बढ़ा और दोनों पक्षों के बीच घंटों तक तनातनी का माहौल बना रहा।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस मौके पर पहुंच गई और व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया। इस तरह की घटनाएं धार्मिक आयोजनों के दौरान तनाव बढ़ा सकती हैं, इसलिए प्रशासन ने हस्तक्षेप करके स्थिति को संभालने की कोशिश की। पुलिस के पहुंचने के बाद दोनों पक्षों को शांत करने की कोशिश की गई।
हिन्दू पक्ष का आरोप है कि उनकी कांवड़ यात्रा को रोकने की कोशिश की गई, जबकि मुस्लिम पक्ष दावा कर रहा है कि वे हर साल उसी रास्ते से जुलूस निकालते हैं। इस विवाद के कारण दोनों समुदायों के बीच झड़प हो गई और पुलिस के साथ भी धक्कामुक्की हुई।
ऐसी स्थितियाँ अक्सर स्थानीय प्रशासन, पुलिस और समुदाय के नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती होती हैं। समाधान के लिए सामुदायिक संवाद और सौहार्द्र बनाए रखना ज़रूरी है, ताकि धार्मिक गतिविधियों को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न किया जा सके।
बताया जा रहा है कि बारावफात के जुलूस में युवक अपने साथ म्यूजिक सिस्टम भी लाए थे। मुस्लिम पक्ष के युवक नवादा में इकट्ठा हुआ और रात आठ बजे से उन्होंने अपना जुलूस निकालने शुरू किया। जब ये जुलूस मौर्य वाली गली की ओर बढ़ा वहीं हिन्दू पक्ष के लोग सड़क पर बैठ गए और उन्होंने रास्ता रोक दिया। हिन्दू पक्ष ने उन्हें वहाँ से निकलने से रोक दिया।
दोनों पक्षों के बीच जबरदस्त तनाव और संघर्ष हुआ है। अक्सर इस तरह की स्थितियों में पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ता है ताकि हालात काबू में आ सकें। सुरक्षा बलों की तैनाती यह सुनिश्चित करने के लिए की जाती है कि कोई और अप्रिय घटना न हो और शांति बहाल हो सके।