Friday, April 26, 2024

संसद में हंगामे पर अभूतपूर्व कार्रवाई: पिछले सप्ताह से कुल 92 सदस्य निलंबित, सभी बड़े नेता शामिल !

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नयी दिल्ली- संसद भवन की सुरक्षा में सेंध के मुद्दे पर दोनों सदनों की कार्यवाही में पिछले सप्ताह से लगातार व्यवधान के बीच एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में सोमवार को विपक्ष के 78 सदस्यों सहित पिछले सप्ताह से अब तक कुल 92 सदस्यों को अमर्यादित आचरण और आसन की अवहेलना करने के लिए निलंबित किया जा चुका है। निलंबित सदस्यों में 46 लोकसभा के और 46 राज्य सभा के हैं।

लोक सभा ने आज विपक्ष के 33 सदस्यों को निलंबित किया जबकि राज्य सभा के 45 सदस्य निलंबित किए गए।

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सोमवार को दोनों सदनों में निलंबित किए गए सदस्यों में लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्य सभा में विपक्ष के उप नेता प्रमोद तिवारी, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सदस्य जयराम रमेश, के सी वेणुगोपाल, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, जनता दल युनाईटेड के रामनाथ ठाकुर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चव्हाण और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जान ब्रिटास भी शामिल हैं।

इससे पहले पिछले सप्ताह दोनों सदनों में कार्यवाही में व्यवधान डालने और अमर्यादित आचरण के आरोप में लोक सभा ने 14 सदस्यों को निलंबित किया था। जिनमें से एक सदस्य का नाम निलंबित सदस्यों की सूची में त्रुटिवश शामिल कर लिया गया था जिसे संशोधित कर दिया गया।

राज्य सभा में आज विपक्ष के 45 सदस्यों को निलंबित किया गया और एक सदस्य को पिछले सप्ताह निलंबित किया गया था। उच्च सदन में पिछले सप्ताह निलंबित तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन के मामले को विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया है और उसकी रिपोर्ट आने तक वह सदन से निलंबित रहेंगे। सदन में आज निलंबित 45 में से 11 सदस्यों का मामला जांच के लिए विशेषाधिकार समिति को दिया गया है और उसकी रिपोर्ट आने तक उनका निलंबन बना रहेगा।

सभापति जगदीप धनखड़ ने विशेषाधिकार समिति को तीन माह में रिपोर्ट देने को कहा है।

सभापति ने चार बार के स्थगन के बाद शाम चार बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरु करते हुए सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की। विपक्ष के सदस्य उनकी अपील को अनुसना कर शोर शराबा करते रहे।

श्री धनखड़ ने विपक्षी सदस्यों के इस आचरण को अमर्यादित और लज्जाजनक बताते हुए 34 सदस्यों के नाम पुकारे। इसके बाद नेता सदन पीयूष गोयल ने नियम 256 के तहत इन सदस्यों के निलंबन का प्रस्ताव सदन में पेश किया जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

इसके बाद सभापति ने 11 अन्य सदस्यों के नाम लिये और श्री गोयल ने उनके निलंबन तथा उनके आचरण का मामला सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजने के लिए नियम 191 के तहत प्रस्ताव पेश किया जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। सभापति ने कहा कि इन 11 सदस्यों का निलंबन विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक लागू रहेगा और यह समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी।

प्रस्ताव में कहा गया है कि इन सभी सदस्यों ने सदन में अमर्यादित आचरण किया है और सभापति के बार बार निर्देश दिये जाने के बावजूद उनके निर्देशों की अवहेलना की है। विपक्ष के सदस्य इस दौरान नारेबाजी करते रहे। सभापति ने कहा कि ये 11 सदस्य सदन में तख्तियां लहरा रहे थे जो सदन की परंपराओं और नियमों का घोर उल्लंघन है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से आत्मचिंतन करने अपील करते हुए कहा कि उनके आचरण से ऐसा लगता है कि विपक्ष सदन में “हल्ला ब्रिगेड” की तरह काम कर रहा है।

सभापति ने निलंबित किये गये सभी 45 सदस्यों से तत्काल सदन से बाहर जाने को कहा, लेकिन विपक्षी सदस्य शोर शराबा करते रहे जिसे देखते हुए श्री धनखड़ ने कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

राज्य सभा में निलंबित किये जाने वाले सदस्यों में कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याज्ञनिक, नारायण भाई राठवा, सैयद नासिर हुसैन, फूलो देवी नेताम, शक्ति सिंह गोहिल, के सी वेणुगोपाल, रजनी पाटिल, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी, रणदीप सुरजेवाला, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांतनु सेन, मौसम नूर, प्रकाश चिक बारीक, समीरुल इस्लाम, द्रमुक के एम षणमुगम, एन आर इलंगो, कनिमोझी एन वी एन सोमू, आर गिरिराजन, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, फैयाज अहमद , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवादासन, जनता दल युनाईटेड के रामनाथ ठाकुर, अनिल प्रसाद हेगडे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चव्हाण, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, जावेद अली खान, झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ माझी, केरल कांग्रेस – एम के जोस के मणि और आचंलिक गण मोर्चा के अजीत कुमार भुईयां शामिल हैं।

जिन सदस्यों का निलंबन और उनके आचरण का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है उनमें कांग्रेस की जेबी माथेर हीशाम, एल हनुमंतैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जी सी चंद्रशेखर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम, संदोष कुमार पी, द्रमुक के एम मोहम्मद अब्दुल्ला, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जान ब्रिटास और ए ए रहीम शामिल हैं।

लोकसभा में सुरक्षा के मुद्दे पर सदन में भारी हंगामा करने वाले विपक्ष के 33 सांसदों को शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया और कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

चार बार के स्थगन के बाद तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य फिर से हंगामा करने लगे। पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल ने हंगामा कर रहे कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों का नाम लिया। उसके बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सदन ने इन सदस्यों के अवमाननापूर्ण व्यवहार का गंभीरता से संज्ञान लिया है। उन्होंने विपक्ष के कुल 33 के निलंबन के प्रस्ताव रखे जिनमें से तीन के खिलाफ विशेषाधिकार समिति से जांच करने और उसकी रिपोर्ट आने तक उन्हें निलंबित रखने का प्रस्वाव किया। प्रस्तावों को सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। बाकी 30 सदस्यों कोसत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया।

वर्तमान सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए सदस्यों में कल्याण बनर्जी, ए राजा, दयानिधि मारन, अपरूपा पोद्दार, प्रसून बनर्जी, ईटी मोहम्मद बशीर, जी शेलवम, सी एन अन्नादुराई, अधीर रंजन चौधरी, डॉक्टर टी सुमती, के नवास क़ानी, के वीरास्वामी, एन के प्रेमचन्द्रन, प्रो सौग़त राय, शताब्दी राय, असीत कुमार मल, कौशलेंद्र कुमार, अंटो अंटोनी, एस एस पलानीमाणक्कम, थिरुनवुकरासर, प्रतिमा मण्डल, काकोली घोष, के मुरलीधरन, सुनील कुमार मंडल, एस रामलिंगम, के सुरेश, अमर सिंह, राजमोहन उन्नीथन, गौरव गोगोई, टी आर बालू शामिल हैं।

कांग्रेस के डॉक्टर के जयकुमार, विजय वसंथ और अब्दुल खालिक को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट लंबित रहने तक निलंबित कर दिया गया है।सदन में व्यवस्था बनाए रखने के पीठ के बार बार के अनुरोध को अनसुना कर ये तीनों सदस्य हाथ में तख्तियां लेकर अध्यक्ष के आसन के समीप आ कर नारेबाजी करने लगे थे।

विपक्ष पिछले सप्ताह से ही संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर हंगामा कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा करायी जाए और गृहमंत्री अमित शाह वक्तव्य दें। उधर सभापति ने कहा है कि सुरक्षा में चूक की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है और मामले की जांच की जा रही है। इस मुद्दे पर बने गतिरोध के कारण पिछले सप्ताह दो दिन कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका जबकि आज शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हुआ। हालांकि सरकार ने हंगामे के बीच जम्मू कश्मीर से संबंधित दो विधेयक पारित कराये।

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