त्वचा हमारी पांच इन्द्रियों में से एक है, इसलिए यह हमारे लिए विशेष स्थान रखती है।
जागृत अवस्था में स्पर्श के बाद तुरंत जागृत हो उठती है, निद्रावस्था में ज्यादा स्पर्श की जरूरत होती है, त्वचा का रग-रग हमारे रूधिर संचालन से जुड़ा रहता है, यही कारण है कि जरा सी चुभन से हम ‘आह कह उठते हैं।
लेकिन हमारा दुर्भाग्य ही है कि यह त्वचा भी पूर्णत: सुरक्षित नहीं है।
त्वचा को भी तरह-तरह की बीमारियां घेर लेती हैं, घमौरी से लेकर कैंसर तक।
त्वचा के संबंध में निम्नलिखित बातें ध्यान में रखी जानी चाहिए-
-आपकी त्वचा की रोज सफाई हो। बेहतर हो, आप नहाते समय किसी एन्टीबायोटिक्स युक्त साबुन का उपयोग करें।
-नहाने वाला पानी साफ होना चाहिए। साफ न हो तो पानी को उबालकर साफ कर लिया जाए।
-नहाने के बाद बदन पोंछने के लिए साफ सुथरे व सोखने वाले टावल का इस्तेमाल किया जाए।
-त्वचा के किसी भाग में छिल कट जाने पर साफ रूई से पोंछकर एंटीसेप्टिक क्रीम, जो अच्छे ब्रांड की हो लगाई जानी चाहिए।
-पहने जाने वाले कपड़े साफ सुथरे हों। गर्मियों में सूती वस्त्रों का इस्तेमाल करेें। इस तरह छोटी-मोटी बातों का ख्याल रखें।
आपको त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास कब जाना है-
-चुभने पर निकलने वाला रक्त जल्द बंद न हो तो।
-कटने-छिलने के स्थान पर भरने की जगह घाव-एलर्जी हो जाने पर।
-त्वचा पर लाल-लाल दाने, दाद, खाज, खुजली के होने पर।
-त्वचा पर विचित्र किस्म के कष्ट देने वाले दाग या घाव के उभरने पर।
-पूरे शरीर की त्वचा या हाथ-पांव के तलवों पर खुजली या जलन होने पर।
त्वचा की बीमारी को आम व हल्का न समझें।
आपकी त्वचा को थोड़ा या ज्यादा, कोई कष्ट हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर इलाज करवाएं। आपकी एक छोटी सी चूक आपकी समस्या को बढ़ा सकती है।
(आर. सूर्य कुमारी-विनायक फीचर्स)