शामली। वन और वन्यजीव इस धरती की अनमोल प्राकृतिक धरोहर हैं। इनसे न केवल पारिस्थितिकीय संतुलन बना रहता है, बल्कि मानव जीवन भी समृद्ध और शांतिपूर्ण बना रहता है। भारत विभिन्न प्रजातियों के अनेक वन्यजीवों का घर है। इनमें भी जीवन के सभी लक्षण और संवेदनाएं होती हैं। इसलिए इनके संरक्षण व संवर्द्धन के लिए व्यापक जन-जागरूकता और करूणा का भाव जरूरी है।
उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, वन्यजीवों के प्राकृतिक वासों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए निरंतर प्रयासरत है। बीते आठ वर्षों में प्रदेश में 204.65 करोड़ पौधे रोपित किए गए हैं, जिससे वनावरण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकार के वृक्षारोपण अभियान से प्रदेश में 91 वर्ग किलोमीटर से अधिक वन क्षेत्र बढ़ा है।
वन्यजीवों के लिए अनुकूल वातावरण और संरक्षण की वजह से कई प्रजातियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। प्रदेश में बाघों की संख्या 173 से बढ़कर 205 हो गई है, जो कि 18% की वृद्धि है। राज्य पक्षी सारस की संख्या भी 17,586 से बढ़कर 19,616 हो गई है। इसी प्रकार हाथियों की संख्या 265 से बढ़कर 352 पहुंच गई है।
राज्य सरकार ने वन्यजीव विहारों और पक्षी विहारों की भी विशेष देखरेख की है। वर्तमान में प्रदेश के 27 वन्यजीव एवं पक्षी विहार सक्रिय रूप से संरक्षित हैं। वन्यजीवों को प्राकृतिक वास प्रदान कर उनका कुनबा बढ़ाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 अक्टूबर 2022 को चित्रकूट के विन्ध्य पर्वतमाला क्षेत्र में 53,000 हेक्टेयर क्षेत्र को ‘रानीपुर टाइगर रिजर्व’ के रूप में अधिसूचित किया है, जो राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व है।
गोरखपुर जिले के कैम्पियरगंज रेंज में ‘रेडहेडेड गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र’ की स्थापना कर गिद्धों की घटती संख्या को रोकने का प्रयास किया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में वेटलैंड्स की संख्या में वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 10 रामसर साइट्स घोषित हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं। इन जल आर्द्रभूमियों में पक्षियों के साथ-साथ अन्य जलीय जीव-जन्तु निवास करते हैं।
राज्य सरकार ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तकनीकी नवाचारों का भी उपयोग किया है, जिससे संरक्षण के प्रयासों को नई दिशा मिली है। इन सभी प्रयासों के चलते उत्तर प्रदेश वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है।