Uttrakhand. वन विभाग ने सात नई पिरुल ब्रिकेट्स यूनिट्स तैयार करने की योजना बनाई है, जो आगामी वनाग्नि सत्र से पहले चालू हो जाएंगी। यह यूनिट्स अल्मोड़ा, चम्पावत, गढ़वाल और नरेंद्र नगर वन प्रभाग में स्थापित की जाएंगी। इससे स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उत्तराखंड में वनाग्नि का मुख्य कारण चीड़ वन की अधिकता है। वन विभाग के नियंत्रणाधीन वनाच्छादित क्षेत्र का लगभग 15.25 प्रतिशत हिस्सा चीड़ वन है।
वन विभाग चीड़ पिरुल को एकत्रित कर इसे पैलेट्स और ब्रिकेट्स में परिवर्तित कर रहा है। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जा रही है। इन समूहों को प्रति कुंतल चीड़ एकत्रित करने के लिए तीन रुपए की दर से भुगतान किया जा रहा है, जिसे मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार बढ़ाया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर वन विभाग ने वनाग्नि रोकथाम के लिए पांच साल की योजना तैयार की है और इसे केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।
अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने कहा कि पिरुल एकत्रितकरण से वनाग्नि रोकथाम में प्रभावी कमी आती है और इसी कारण ब्रिकेट्स यूनिट की संख्या बढ़ाकर 12 करने की तैयारी है। यह पहल प्रदेश में वनाग्नि रोकथाम के साथ-साथ स्थानीय रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।