उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग ने रिटायर आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह को स्मारक घोटाले में पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें नोटिस मिलने के तीन दिन के भीतर पेश होने का निर्देश दिया गया है। यह नोटिस उस समय जारी हुआ है जब हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके चंडीगढ़ स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें करोड़ों की संपत्ति और दस्तावेज बरामद हुए थे।
सूत्रों के अनुसार, मोहिंदर सिंह पहले भी विजिलेंस के नोटिस के बावजूद पेश नहीं हुए थे, और इसी तरह ईडी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर भी वे उपस्थित नहीं हुए। ईडी ने उन्हें दोबारा 5 अक्टूबर को तलब किया था, लेकिन उन्होंने फिर भी इस तिथि पर उपस्थिति नहीं दी। इस घटनाक्रम से यह मामला और भी गंभीर हो गया है, क्योंकि अधिकारियों के लिए अब उनके खिलाफ और कड़े कदम उठाने की संभावना बढ़ गई है।
लखनऊ और नोएडा में बीएसपी सरकार के दौरान निर्मित स्मारकों में कथित 1400 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में प्रमुख सचिव आवास के पद पर रहे मोहिंदर सिंह की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। जांच में यह सामने आया है कि जुलाई 2007 में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में स्मारकों के निर्माण के लिए मिर्जापुर के सैंड स्टोन (बलुआ पत्थर) का उपयोग करने का निर्णय लिया गया था।
हालांकि, बाद में हुई एक अन्य बैठक, जिसमें मोहिंदर सिंह भी उपस्थित थे, में इस निर्णय को बदलकर राजस्थान से सैंड स्टोन मंगवाने का फैसला किया गया। इस बदलाव के कारण स्मारक निर्माण की लागत में भारी वृद्धि हुई, जो घोटाले के आरोपों का एक प्रमुख बिंदु बना। कहा जा रहा है कि इस फैसले से न केवल सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ, बल्कि इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप भी उभरकर सामने आए हैं।
विजिलेंस और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मामले की जांच की जा रही है, और मोहिंदर सिंह की भूमिका को लेकर लगातार पूछताछ की जा रही है। उनकी पिछली बैठकों में की गई निर्णय प्रक्रियाओं और उन पर लिए गए निर्णयों के कारण वे अब जांच के केंद्र में हैं।