Tuesday, May 13, 2025

टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद विराट पत्नी अनुष्का संग पहुंचे मथुरा, प्रेमानंद महाराज से लिया आशीर्वाद

मथुरा। भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद मंगलवार को पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ संत प्रेमानंद का आशीर्वाद लेने श्रीराधा केलिकुंज आश्रम पहुंचे। विराट कोहली व अनुष्का शर्मा ने करीब 15 मिनट संत प्रेमानंद से अध्यात्मिक चर्चा की। करीब दो घंटे बीस मिनट तक आश्रम में ठहरे। संत प्रेमानंद ने विराट व अनुष्का को मन से राधा नाम जप करने का आशीर्वाद दिया। कहा मन के अंदर से जब राधा नाम का जप करोगे तो जीवन में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इसके बाद विराट और अनुष्का बाराहघाट स्थित संत प्रेमानंद के गुरु गौरांगी शरण के आश्रम में उनका आशीर्वाद लेने भी पहुंचे।

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मंगलवार सुबह रमणरेती स्थित श्रीराधा केलिकुंज में पहुंचे विराट कोहली व अनुष्का शर्मा ने संत प्रेमानंद के सामने दंडवत प्रणाम किया। संत प्रेमानंद ने पूछा प्रसन्न हो। इस पर विराट ने मुस्कराकर कहा, जी। इस दौरान संत प्रेमानंद ने खूब आनंदित रहने व राधा नाम जप करने का आशीर्वाद दिया। अनुष्का शर्मा ने संत प्रेमानंद से सवाल किया कि बाबा क्या नाम जप से सब कुछ पूरा हो जाएगा? इस पर संत बोले बिल्कुल पूरा होगा। हमने इसका अपने जीवन में अनुभव किया है। 20 साल काशी विश्वनाथ में संन्यासी जीवन बिताया। जहां सांख्ययोग, कर्मयोग, अष्टांग योग का अनुभव किया, अब भक्तियोग में रमे हैं। उन्होंने कहा भगवान शंकर से बढ़कर कोई ज्ञानी नहीं। वह भी हरि शरणम हर समय जपते रहते हैं। भगवान शिव राम राम जपते रहते हैं।

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संत प्रेमानंद ने प्रभु का विधान बताते हुए कहा जब प्रभु किसी पर कृपा करते है तो ये वैभव नहीं, ये पुण्य है। भगवान की कृपा तो मन के अंदर के चिंतन से मिलती है। हमें अंदर का चिंतन बदलना है, ताकि अनंत जन्मों के संस्कार भस्म होकर अगला जन्म उत्तम मिले। भगवान अंदर की कृपा से परमशांति का रास्ता देते हैं। जितने भी महापुरुष हुए, उनका जीवन प्रतिकूलता से बदला है।

 

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सब कुछ हमारे अनुकूल है तो आनंदित होकर भोग करते हैं। सतमार्ग पर जीवन ले जाने पर अगले जीवन में श्रीवान, कुलवान, धनवान, वैभव संपन्न मिलेगा और भक्ति की अनुकूलता रहेगी। संत प्रेमानंद ने कहा हम प्रिया-प्रियतम की उपासना करते हैं। राम में रा है वही रा है और धा जो है वह रस देने वाली वस्तु है। तो हम राधा-राधा-राधा का जप करते हैं। हमारी तार्किक व श्रद्धालु बुद्धि नहीं रही। संन्यासी की बुद्धि तर्क प्रधान होती है। हम भावुकता में राधा राधा प्रचार नहीं करते। स्वयं इसका स्वाद ले रहे हैं।

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