वर्तमान दौर में अनेक बीमारिेयों का कारण हमारा खान-पान भी है। ऐसे में हमारी थाली में परोसी जाने वाली रोटी भी कई मायनों में रोगी बनाने में भूमिका निभा रही है। ऐसे में यह प्रश्न उभरकर सामने आता है कि अब रोटी का स्वाद कहां खो गया? इस प्रश्न पर अगर हम गहराई से चिंतन करे तो सबसे पहले आता है गैस से बनी रोटी।
जी, हां यह सत्य भी है कि आज हमारे घरों में गैस के चूल्हे पर बननी वाली रोटी घातक बीमारियां देने के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। आज के दौर में बड़े शहरों में रहने वाले लोगों की मजबूरी है कि उन्हें चूल्हा नसीब नहीं होता और मजबूरी में गैस पर बनी रोटी खाकर ही अपना जीवन यापन करना पड़ता है लेकिन इधर हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त साधन सुविधाएं होने के उपरांत भी चूल्हे के झंझट से मुक्ति मिले की सोच से गैस का अधिक उपयोग किया जाता है।
इस दौर में ग्रामीण क्षेत्रों में भी गैस पर खाना बनाने का प्रचलन तेजी से बढता जा रहा है क्योंकि इसका मुख्य कारण यह भी है कि गैस पर खाना जल्दी बनता है, वहीं लोगों को गैस पर खाना बनाने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता है। आज हमारे घरों में सब कुछ पौष्टिक खाने के उपरांत भी रोगियों की संख्या बढती जा रही है, घरों में बच्चों से लेकर बुर्जुगों तक कोई न कोई बीमार देखे जा सकते है।
अगर स्वास्थ्य विशेषज्ञो की राय मानी जाये तो तो चूल्हे पर बनी रोटी गैस पर बनी रोटी के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होती है। इससे कई तरह की बीमारियां भी हमसे दूर रहती है। चूल्हे पर बनी रोटी ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक होती है, इसमें कोई संदेह नहीं है। चूल्हे पर बनी रोटी का स्वाद कुछ अलग ही होता है क्योंकि तवे पर पकाने के बाद रोटी का सम्पर्क गर्म राख और भूमि से होता है जिससे निकली सोंधी-सोंधी गंध स्वाद को ओर बढा देती है, इसके अलावा यह खाने में भी रुचि पैदा करती है जबकि गैस चूल्हे की आंच पर बनने वाली रोटी का स्वाद तो होता ही नहीं है, साथ ही शरीर में अपचन, कब्ज, गैस जैसे अनेक रोगों को बढाने में सहायक होती है।
सही मायने में गैस पर बनी रोटियां पूरी तरह से पक नहीं पाती है। आजकल प्राय: घरों मे यह चलन सा हो गया है कि तवे पर आधी रोटी सीकने के बाद उसे गैस की लौ में सेका जाता है जो खाने में भी बेस्वाद होती है जबकि चूल्हे पर बनी रोटियां पूरी तरह से पक जाती है, साथ ही साथ यह ज्यादा सुपाच्य भी होती है। इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि चूल्हे पर बनी रोटी ही गैस पर बनी रोटी की तुलना में अधिक फायदेमंद होती है, वहीं चूल्हे से बनी रोटी को नियमित खाने से डायबिटीज जैसे रोग भी नियन्त्रण में किये जा सकते है। हमारे घरों में रोटी पकाने का भी तरीका अलग-अलग होता है। कुछ लोग रोटी को तवे पर सेक कर खाते हैं तो कुछ सीधे ही गैस की आंच पर सेकना जरूरी समझते है।
रोटी को गैस की आंच पर पकाने बनती जा रही यह परम्परा हमारे शरीर के लिए घातक सिद्ध होती नजर आ रही है। न्यूट्रिशन एंड कैंसर जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक तेज आंच पर खाना पकाने से कार्सिनोजेनिक पैदा हो सकते हैं जिन्हें शरीर के अंगों के लिए सही नहीं माना जाता है। शोध में कहा गया है कि गेहूं के आटे में एक निश्चित स्तर की नेचुरल शुगर और प्रोटीन होता है, जिससे अगर सीधी आग पर गर्म किया तो कार्सिनोजेनिक पैदा हो सकता है, जो मानव शरीर के लिए असुरक्षित है। कार्सिनोजेनिक एक ऐसा पदार्थ है जो कैंसर का कारण बन सकती है, जीन को प्रभावित करके या सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है।
हालांकि अभी इस को लेकर और भी रिसर्च होने की आवश्यकता है, लेकिन अब तक के रिसर्च को देखा जाए तो एक बात तो निकलकर आती है कि सीधे गैस के संपर्क में रोटी पका कर खाना सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने स्वास्थ्य को देखते हुए ऐसी गलती नहीं करे तो ज्यादा ठीक है। सदियों से हमारे यहां रोटी पकाने का बढिया तरीका रहा है जिसके अनुसार तवे पर रखी रोटी को किसी सूती के कपड़े से दबाते हुए चारों तरफ घुमा-घुमा कर सेककर रोटी बनाना। इससे रोटी अच्छी तरह पक जाती है और इसे सीधे गैस की आंच पर भी नहीं रखने से हमारे शरीर के लिए भी नुकसानदायक नहीं होती।
-डा. वीरेन्द्र भाटी मंगल