नई दिल्ली। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने गन्ना मूल्य वृद्धि पर ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि आज बहुत विलंब के बाद, उत्तर प्रदेश की प्रदेश सरकार द्वारा चालू पेराई सत्र 2023-24 के लिए गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य (एस०ए०पी०) में 20 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की गई है।
कीटनाशक, उर्वरक, कृषि यंत्रों तथा डीजल की लगातार बढ़ती हुई कीमतों को देखते हुए गन्ना मूल्य में यह 20 रुपये की वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। प्रदेश के किसान गन्ना उत्पादन की लागत को देखते हुए राज्य सरकार से 450 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य की मांग कर रहे थे। भाजपा सरकार ने अपने विगत सात वर्षों के शासन में गन्ने के मूल्य में मात्र 55 रुपये प्रति क्विंटल की घोषणा की है (यानी 55 पैसे / किलो)!!
20 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य-वृद्धि के साथ उत्तर प्रदेश में गन्ने की कीमत 360 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी है, जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में गन्ने की कीमत 386 रुपये प्रति क्विंटल तथा पंजाब में 392 रुपये प्रति क्विंटल है। हरियाणा ने अगले सत्र 2024-25 का भाव 400 रुपए अभी घोषित कर दिया है।
प्रदेश की भाजपा सरकार गन्ना किसान को न तो लाभकारी मूल्य देने में सफल रही है और न ही बकाया मूल्य के भुगतान के मामले में। क़ानूनी प्रावधान एवं न्यायालय के आदेश के अनुसार किसान को 14 दिन में गन्ना मूल्य का भुगतान करना अनिवार्य है अन्यथा किसान को बकाया राशि पर 15 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना होगा। किन्तु इस पर आज तक अमल नहीं हुआ है और बेबस किसान यह सब सहन करने को मजबूर है।
सवाल यह है कि किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार क्या इसी तरह की नीतियों से किसानों की आय दोगुनी करेगी ?