Sunday, May 4, 2025

अप्रैल 2025 की तपती चेतावनी: क्या अब भी नहीं जागोगे ?

“गर्मी आ गई है” यह वाक्य इस बार सिर्फ मौसम की सूचना नहीं बल्कि धरती की कराह है। भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अप्रैल 2025 में तापमान सामान्य से कहीं अधिक रहेगा लेकिन सवाल यह है कि क्या यह खबर सिर्फ पढ़कर हम फिर अगली खबर पर बढ़ जाएंगे या इस बार रुकेंगे, सोचेंगे, और कुछ बदलने का मन बनाएंगे?

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने जो गर्मी देखी है, वह अब इतिहास नहीं, नया वर्तमान बन चुकी है। खेतों की मिट्टी चिटकने लगी है, जलस्रोत सूखते जा रहे हैं, और हवा, जो कभी जीवनदायिनी थी, अब जहरीली लपटों जैसी महसूस होने लगी है। अप्रैल 2025 की यह पूर्व चेतावनी हमें भविष्य के उस दरवाजे पर खड़ा कर चुकी है जहाँ से लौटना नामुमकिन हो सकता है।

किसानों की छाती पर तपता सूरज

[irp cats=”24”]

खेती सिर्फ धरती का काम नहीं, ये दिल से जुड़ा जज़्बा है। लेकिन रबी की फसल जब पकने को होती है, तब अगर आसमान आग उगलने लगे तो वो मेहनत, वो सपने, वो उम्मीदें – all turn to dust. उच्च तापमान गेहूं और चने की पैदावार को सीधे नुकसान पहुँचाता है। परिणाम? महंगाई, भुखमरी और आत्महत्या की खबरें। क्या कोई देश अपने अन्नदाताओं को यूँ तपते सूरज के हवाले छोड़ सकता है?

जल है तो कल? पर अब जल ही नहीं बचा!

क्या आपने कभी देखा है एक माँ को, जो अपने बच्चे को एक गिलास पानी के लिए तरसते देखती है? आने वाला समय यही दिखा सकता है। अप्रैल में जब नहरें सूखेंगी, तालाब मिट्टी में बदलेंगे और टैंकरों पर लोगों की लाठियाँ चलेंगी, तब ये खबरें अखबार की सुर्खियाँ नहीं, हमारी ज़िंदगियों की हकीकत बन जाएंगी।

लू नहीं, यह मूक हत्यारा है

हीटवेव एक धीमी मौत है, बिना आहट के आती है और जान ले जाती है। 2015 में 2,500 से ज्यादा लोग लू की चपेट में आकर मारे गए थे। अब 2025 की गर्मी उससे भी विकराल रूप में सामने है। अस्पताल भर जाएंगे, लेकिन बेड नहीं होंगे। गरीब झोंपड़ियों में तपेंगे, बच्चे स्कूल छोड़ेंगे, और कामगार जान जोखिम में डालकर पसीने से अपने परिवार को बचाने निकलेंगे।

शहरों में चिल्लाती चुप्पी

शहरों में एसी चलेंगे, लेकिन बिजली कब तक साथ देगी? जब पावर ग्रिड फेल होगा, तब ऊंची इमारतों में कैद बुज़ुर्ग, छोटे बच्चे और बीमार लोग सबसे पहले शिकार बनेंगे। शहरों की चुप्पी में एक चीख होगी जो शायद कोई न सुने।

और दोषी कौन?

यह आग हमने ही लगाई है। हर वह पेड़ जो काटा गया, हर वह बोतल जो हमने बेवजह फेंकी, हर वह वाहन जो धुएं उगलता रहा। ये सब मिलकर जलवायु को बेकाबू बना चुके हैं। अब दोष देना बंद करो, कार्रवाई शुरू करो।

अब भी समय है, लेकिन थोड़ा ही

सरकारें चेतावनी पर काम करें। राहत नहीं, रक्षा नीति बनाए। स्कूलों को हीटवेव सुरक्षा पाठ्यक्रम पढ़ाएं। जल संरक्षण को राष्ट्रीय आंदोलन बनाएं। और आम नागरिक आप, मैं, हम सब हर दिन एक बदलाव करें – पानी बचाएं, पेड़ लगाएं, ऊर्जा सीमित करें, और सबसे ज़रूरी – “निश्चय करें कि अब चुप नहीं बैठेंगे।”

यह बस गर्मी नहीं, यह भविष्य की कहानी है

अप्रैल 2025 की गर्मी दरअसल एक घोषणा है, कि प्रकृति अब माफ नहीं करेगी। यह अलार्म है जो बज चुका है, अब भी अगर नहीं उठे, तो इतिहास हमसे सवाल पूछेगा – “जब सूरज जल रहा था, तुम क्या कर रहे थे?”

उमेश कुमार साहू

 

 

 

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय