मनीषियों का कथन है कि पूर्ण सफलता के लिए उस कार्य के प्रति लगन के साथ-साथ मन की एकाग्रता भी बहुत जरूरी है। यदि एकाग्रता का अभाव है तो लक्ष्य की प्राप्ति भी सम्भव नहीं है। एकाग्रता के अभाव का अर्थ है अस्थिरता, अशान्ति, निराशा और बैचेनी।
जब जीवन कारणवश इन्हीं का शिकार होता है तो आप अपने को अशांत और बैचेन पाते हैं। अशान्ति की उन मायूस घडिय़ों में कितना तुच्छ सा लगने लगता है अपना जीवन। अनाज की एक बंद बोरी कितनी मूल्यवान है? किन्तु उसे खोलकर दाना-दाना इधर-उधर बिखेर दिया जाये, तब आंकिये उसकी कीमत। क्या कीमत रह जायेगी उसकी?
यही दशा मन की है। योगीजन मार्गदर्शन करते हैं कि मनुष्य को अपने मन को एकाग्र करके चारों ओर से इसकी बिखरी हुई शक्ति को केन्द्रित कीजिए फिर देखिए इसकी कीमत, इसकी महत्ता। वही मन जब यहां, वहां बिखरा हो, अनेक प्राणी पदार्थों के चिंतन में लगा तो मन की वह स्थिति भी देखिए सच में कितना धोखा कर रहे हैं हम अपने आप से।
कैसा निरर्थक, सार हीन, दुखमयी खिलवाड़ कर रहे हैं जीवन के साथ एकाग्रता में निहित महान शक्ति को न पहचानकर। जब जागो, तभी सवेरा। आज से ही अभी से ही अभ्यास आरम्भ कीजिए। मन को एकाग्र करने की शक्ति एक ही दिन में प्राप्त नहीं होगी पर एक दिन अवश्य ही सफला मिलेगी।