आपको ऐसे पर्याप्त व्यक्ति अपने आसपास के समाज में मिल जायेंगे, जो अपने स्वयं के भीतर तो झांकने का कभी प्रयास नहीं करते, किन्तु दूसरे लोगों की कमियों को खोजने में ही अपनी ऊर्जा नष्ट करते रहते हैं। यह स्वभाव व्यक्ति के अंदर हीन भावना को जन्म देता है।
हीन भावना से ग्रसित व्यक्ति कभी भी अपने लक्ष्य को अपनी प्रतिभा और क्षमता के अनुसार प्राप्त नहीं कर सकता। वह इस सच्चाई को भी नहीं समझ पाता कि उसका नकारात्मक चिंतन उसकी असफलता का मूल कारण है, वहीं दूसरी ओर सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अपनी कमियों को दूर कर सकारात्मक मन से लक्ष्य प्राप्ति हेतु आगे बढ़ता है।
इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि ऐसे लोगों में आत्मविश्वास भरा होता है, जो वास्तव में सबसे बड़ी प्रेरणा है। सकारात्मक सोच का सबसे बड़ा लाभ यह मिलता है कि इससे मनुष्य के अन्दर कठिनाईयों से लडऩे की क्षमता विकसित हो जाती है, उनके अंदर सामाजिक सहयोग और समन्वय के गुण आ जाते हैं।
इस प्रकार यह (सकारात्मक सोच) तनाव, कडुवाहट और लक्ष्य रहित जीवन जीने जैसी कमियों को दूर कर अच्छे व्यक्तित्व के निर्माण में सहयोग करती है।