Tuesday, April 22, 2025

अनमोल वचन

परमात्मा के सच्चे भक्त जिस परम आनन्द को जी रहे हैं वह परमानन्द नित्य रहने वाला है, अखंड है अर्थात कभी खंडित नहीं होता। आप और हम सामान्य व्यक्ति हैं, आप देखते हैं कि जो वस्तु आपने पाई, जो पदार्थ आपने पाये उनके कारण थोड़े समय सुखी तो हुए पर फिर उन्हीं के कारण दुख के सागर में डूब भी गये।

यह दुनिया बड़ी विचित्र है। यह सोना बनकर निमंत्रण देती है पर जब उसे पा लिया जाता है तो वह मिट्टी से ज्यादा अनुभव नहीं होता। दुनिया अजब खिलौना है, मिल जाये तो मिट्टी और न मिले तो सोना है। कितने आकर्षणों से बंधी है मनुष्य की चित्तवृत्ति?

आदमी न जाने क्या-क्या कामनाएं करता रहता है कुछ सम्भव, कुछ असम्भव, परन्तु धन्य है वे लोग जिन्होंने प्रभु के चरणों में सर्वस्व न्यौछावर कर दिया है। क्या कभी सोचा है कि आपका सच्चा मित्र कौन है, किसे अपना सर्वस्व सौपौंगे, किसे अपना सब कुछ मानोगे ? निश्चय ही वह भाव हमारी चित्तवृत्ति को धन्य करता है, जब हमारे लिए परमपिता परमात्मा ही सब कुछ होते हैं।

परमात्मा जिनकी सम्पत्ति है, उन्हें जगत में कौन हरा सकता है? क्योंकि वह अकेला नहीं है। सकल ब्रह्मांड के स्वामी उसके स्वामी भी हैं, मित्र भी हैं, उसके सहयोगी भी, अकेलेपन का दंश तो उन्हें झेलना पड़ता है, जो परमात्मा से नहीं जगत से प्रीत लगाते हैं।

यह भी पढ़ें :  अनमोल वचन
- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,719FansLike
5,532FollowersFollow
150,089SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय