Monday, December 23, 2024

अनमोल वचन

आज के दूषित वातावरण में मनुष्य स्वयं को टूटा-टूटा सा महसूस कर रहा है। उसकी धमनियों में कुत्सित विचारों का रक्त संचारित हो रहा है। कोशिकाएं ईर्ष्या और घृणा के धुएं से जल रही हैं। कलह का दावानाल पोर-पोर को जला रहा है। ऐसी स्थिति में इंसान का जीवन एक समस्या बन गई है।

कभी ऐसे लोगों को देखते हैं, जो उम्र में युवा होते हैं पर चेहरा बुझा-बुझा होता है, उनमें न जोश होता है न होश। ऐसे लोग स्वयं को थका महसूस करते हैं। कार्य के प्रति उनमें उत्साह नहीं होता। ऊर्जा का स्तर उनमें गिरावट पर होता है। ऐसा क्यों होता है यह आपने कभी महसूस किया है?

वास्तव में यह स्थिति हमारी शारीरिक स्वस्थता के साथ-साथ मानसिक अवस्था और विचारों के कारण होती है। जब कभी आप चिंतातुर होते हैं तो आपकी ऊर्जा का स्तर गिरने लगता है। उस समय शरीर में थकावट, कुछ भी करने के प्रति अनिच्छा और उत्साहहीनता की अनुभूति होती है।

चिंता या तनाव जितने ज्यादा उग्र होते हैं उतनी ही अधिक कार्य में अरूचि होती है। ऐसे में ऊर्जा को बढाने के लिए इस तथ्य कोमन मस्तिष्क में बैठा लें कि सामान्य मनुष्य जो कुछ भी कर रहा है वह उसकी क्षमता से बहुत कम है।

इस मानव शरीर में जो विराट शक्तियां छिपी हैं उनका सही उपयोग किया जाये तो मनुष्य इतिहास रच सकता है। इसलिए सदा उत्साहित रहे, स्वयं को ऊर्जा से भरपूर रखें। निराशा को पास न फटकने दें।

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