गाजियाबाद की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा समय-समय पर की जाने वाली जांच और कार्रवाई एक अहम कदम होती है। इसी क्रम में हाल ही में मधुबन बापूधाम थाने में एक दलाल के सक्रिय होने की शिकायत सामने आई, जिस पर डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (सिटीज़ोन) राजेश कुमार ने तत्काल संज्ञान लेते हुए गोपनीय जांच के आदेश दिए। शिकायत में कहा गया था कि रिंकू नाम का एक युवक, जो अपराधी प्रवृत्ति का है, मधुबन बापूधाम थाने में अनधिकृत रूप से लगातार आता-जाता रहता है और लोगों को डरा-धमका कर अवैध वसूली करता है।
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शिकायतकर्ता के अनुसार, रिंकू पुलिस अधिकारियों से नजदीकी बनाकर आम नागरिकों पर दबाव बनाता था और जो लोग उसका विरोध करते थे, उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देता था। यह न केवल कानून व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती थी, बल्कि पुलिस और आम जनता के बीच विश्वास की डोर को भी कमजोर कर सकती थी।
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डीसीपी राजेश कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीधी जांच न कराकर एक गोपनीय जांच अधिकारी के माध्यम से मामले की पड़ताल करवाई। जांच में पुष्टि हुई कि रिंकू का थाना परिसर में लगातार और बिना कारण आना-जाना होता रहा है, जिससे स्पष्ट हुआ कि वह किसी संगठित अवैध गतिविधि में शामिल था। इस रिपोर्ट के आधार पर उप निरीक्षक ओमप्रकाश बघेल द्वारा रिंकू के खिलाफ बीएनएस की धारा 308 के तहत जबरन वसूली का मुकदमा दर्ज किया गया।
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डीसीपी राजेश कुमार द्वारा की गई यह सख्त कार्रवाई न केवल अपराधियों को चेतावनी है, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर सक्रिय किसी भी प्रकार की दलाली और अनुचित गतिविधियों को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मजबूत कदम भी है। अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में आगे की जांच कैसे बढ़ती है और क्या रिंकू के साथ-साथ अन्य कोई अधिकारी भी इसमें संलिप्त पाए जाते हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कानून से ऊपर कोई नहीं होता – चाहे वह आम नागरिक हो या कोई रसूखदार व्यक्ति।