जिसकी जैसी दृष्टि होती है उसे सब कुछ वैसा ही दिखाई देता है। किसी को उपवन में झाड़-झझांड़ दिखाई देते हैं तो किसी को फूल ही फूल दृष्टिपात आते हैं। दोष ढूंढने वाला व्यक्ति सारा जीवन दूसरों के दोष ढूंढने में ही व्यतीत कर देता है। जिन्हें फूल चुनने का स्वभाव है, गुण खोजने का अभ्यास है वे ही जीवन में कुछ एकत्रित कर पाते हैं। जिनको लेना नहीं आता, सीखने की जिन्हें आदत नहीं है वे केवल आलोचना करते रह जाते हैं।
जोडऩा सीखिए, तोडऩा नहीं। जोडऩा अच्छा स्वभाव है तो तोडऩा बुरी आदत है। इसलिए जोड़ते जाओ, जीवन में कुछ गुण ग्रहण करते जाओ। जिन्हें सीखने की इच्छा है, उन्हें हर स्थान से हर व्यक्ति से सीखने को कुछ न कुछ अवश्य मिलेगा। जिन्हें हम संसार में सबसे अनुभवहीन समझते हैं उन बच्चों के भोलेपन से सीखो, उनकी मासूमियत से सीखो, उनकी निश्छल, निष्कपट मुस्कराहट से सीखो।
जो बच्चों जैसा कोमल, निश्छल, सहज और कपट से रहित होगा वहीं तो परमात्मा के दरबार में जाने योग्य होगा। जीवन में सरलता अपनाएं, क्योंकि सरलता गुणों को जोड़ती है, प्रसन्नता लाती है, सद्गुणों को अपनाती है। सरल व्यक्ति किसी से छीनता नहीं किसी को सताता नहीं, किसी के साथ विश्वासघात नहीं करता, बल्कि दूसरों की सहायता करता है, जो दिखावा करता है वह उस दिखावे के स्थायित्व के लिए बहुत से पाप भी करता है।