आज हमारे देश के सामने ही नहीं समस्त विश्व के सामने पर्यावरण का असंतुलन एक समस्या बन रहा है जिसके कारण भूकम्प, बाढ़, भूस्खलन तथा बेमौसम भारी वर्षा तबाही मचा रही है। हम सबका कर्तव्य है पर्यावरण को न बिगाड़ें।
जितना प्रदूषण हम मल-मूत्र, गन्दी श्वास तथा अन्य कारणों से बढ़ाते हैं, उसको संतुलित करना भी हमारा ही उत्तरदायित्व बनता है। यदि घर-घर में प्रतिदिन गाय के घृत से हवन किये जाये जो प्रदूषण समाप्त होकर पर्यावरण संतुलन कायम रहेगा। शुभ कार्य जब भी आरम्भ कर दिया जाये, तब ही शुभ है। जब जागे तभी सवेरा। इसे किसी धर्म अथवा सम्प्रदाय विशेष का कार्य न समझा जाये।
करोड़ों वर्षों से जब से यह सृष्टि रची गई, तब से हज़ारों वर्ष पहले यह सभी के अनिवार्य कर्तव्यों में था। आज भी यह हम सभी का कर्तव्य है, क्योंकि गन्दगी सभी फैलाते हैं, प्रदूषण का हेतु हम सब हैं। सभी धर्मों के लोगों को इस पुनीत कार्य में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। इस पुनीत कार्य को स्वहित के साथ-साथ परहित का कार्य मानकर आज से ही आरम्भ कर देना चाहिए। साथ ही वृक्षारोपण को महत्व दिया जाये। यदि किसी कारण पहले लगे वृक्ष को काटने की बाध्यता हो तो एक वृक्ष के बदले पांच वृक्ष लगाये जायें।